गढ़वाल की पीड़ा तथा बढ़ते पलायन की स्थिति को अपने गीतों के माध्यम से लोगों के सामने रखने वाले गढ़वाली गायक दीपक कुमार,जिन्होनें स्वरकोकिला मीना राणा के साथ मिल कर पलायन का दंश सह रहे पहाड़ को पन्नों पर उतारकर गीत का स्वरूप दिया,तो आइये नजर डालते हैं उनके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर-
दीपक कुमार का जन्म पौड़ी गढ़वाल जिले के नौगांव कनडारसयूँ में हुआ उनके पिता स्वर्गीय श्री सुरेंद्र कुमार का स्वर्गवास उनके बचपन में ही हो गया. दीपक की प्राथमिक शिक्षा खालयुधार नौगांव से प्राप्त हुई जूनियर व मैट्रिक शिक्षा राजकीय इंटर कॉलेज चौंरीखाल से की लेकिन पारिवारिक स्थिति ठीक ना होने के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए.
पिता का साया उठ जाने के कारण परिवार की सारी जिम्मेदारी दीपक के उपर आ गई बचपन से ही संगीत कला की ओर रुझान था जिसके प्रेरणा स्रोत थे उनके पिताजी, गांव में जब कोई कार्यक्रम होता था तो उनके पिताजी पुराने गीत गाते थे पिता जी का गीत संगीत से गहरा लगाव था तो दीपक भी पिताजी के साथ में ही रहते थे तो धीरे-धीरे गुनगुनाने लगे.
स्कूलों के कार्यक्रमों में भी दीपक भाग लेते. 15 अगस्त 26 जनवरी जैसे अवसरों पर समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों में प्रतिभाग करते और धीरे धीरे जब बड़े हुए तो उत्तराखंडी लोक गायक आदरणीय नरेंद्र सिंह नेगी जी के गीतों को सुनते और गुनगुनाते थे मन में एक ही विचार था कि अपनी मातृभाषा गढ़वाली का उन्मूलन करना. दीपक ने पहली बार अपनी खुद की गढ़वाली एल्बम ‘जय हो बाबा केदारनाथ’ बनाई जिसमें पहला गीत ‘केदारनाथ’ स्तुति रहा और धीरे-धीरे आगे बढ़ते गए. दीपक ने अपने गुरु उत्तराखंड के लोक गायक आदरणीय मनमोहन सागर व बड़ी दीदी मीना राणा को माना जिन्होंने उन्हें समय-समय पर मार्गदर्शन किया और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.
हाल ही में रोड एक्सीडेंट में अपनी जान गंवाने वाले स्वर्गीय अमित शाह व स्वर्गीय राकेश नेगी के साथ भी दीपक ने कई वीडियो ऑडियो गीत बनाए . पहाड़ में उभरते हुए कलाकार जो किसी कारणवश आगे नहीं आ पाते उनको दीपक मार्गदर्शन देते हैं जैसे गीत कैसे रिकॉर्ड किया जाता है गीत कैसे लिखा जाता है और समय-समय पर आगे आने के लिए प्रेरित करते हैं.
दीपक की नई एल्बम ‘बॉडी एैजा पंछी’ जो पलायन पर आधारित है को लोगों के सामने रखा है दीपक का कहना है कि मैं समझता हूं कि इस गीत के माध्यम से जरूर उन्हें अपने पहाड़ की याद आएगी मेरा पहाड़ से पलायन के वास्ते देश व दुनिया में मैसेज के रूप में जितने भी पहाड़ी भाई है उनके पास यह मैसेज गीत के माध्यम से जाएगा कि आखिर अपना घर त्याग मत करो हमारी पितरों की भूमि को जीवित रखने पर आधारित है और आगे भी मैं इसी तरीके से अपने गुरुजनों का आशीर्वाद के साथ कुछ और नया करता रहूंगा अपनी उत्तराखंड संस्कृति के लिए वह मातृभाषा के लिए और अभी मुझे भारतीय बौद्ध संघ उत्तराखंड से जिला पौड़ी गढ़वाल से जिला अध्यक्ष के रूप में कार्यभार मिला है जिसके माध्यम से मैं निम्न वर्ग गरीब असहाय निर्धन विधवा विकलांग लोगों की मदद विभिन्न विभागों से सरकारी योजनाओं में लाभ लेने हेतु उन सबकी मदद करवाता रहता हूं वह समाज मैं सामाजिक समरसता एकता व आपस में भाईचारे का संदेश देता रहता हूं .
आप भी सुने पलायन पर आधारित ये गीत-
https://www.youtube.com/watch?v=CMvwP8R0vB8&feature=youtu.be&fbclid=IwAR0EwcuHDIFSZYvbJdPCfQUGY3VIM8k-MhW9hg8_xwJcRjceadAeJkrEl9Q
यह खबर भी पढ़े- पवित्र कैलास को राष्ट्रिय धरोहर बनाने में युसैक ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका ,पढ़े पूरी खबर
यह खबर भी पढ़े- पीएम मोदी पर बनने वाली फिल्म में कई दृश्य उत्तराखंड के,यहां होगी शूटिंग
देहरादून/संध्या सेमवाल