विरासत में पंडित जयतीर्थ मेवुंडी द्वारा भारतीय शास्त्रीय गायन की प्रस्तुित ने लोगो को किया आकर्षित

April 28, 2022 | samvaad365

सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं पंडित जयतीर्थ मेवुंडी द्वारा भारतीय शास्त्रीय गायन प्रस्तुत किया गया। उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति वास ’राग पुरिया धनहारी’ अर्ज सुनो मेरी फिर उन्हों जावो जबी सजना निर्मोही एवं राग भिन्नां गंधार, अगला राग अधाना सवाई गंधर्व की एब बंदिश ’ जो तेरी रजा, जो चाहे तो करे एवं अंतिम प्रस्तुति में उन्होंने राम की स्तुति में एक भजन कि प्रस्तुति दी।

पंडित जयतीर्थ मेवुंडी किराना घराने के एक भारतीय शास्त्रीय गायक हैं। जयतीर्थ का जन्म कर्नाटक के हुबली में हुआ है एवं उनका पालन-पोषण एक संगीतमय वातावरण में हुआ और उनकी माँ सुधाबाई ने उन्हें संगीत के प्रति प्रोत्साहित किया जो पुरंदर दास कृतियाँ गाने की शौकीन थीं। वे ऑल इंडिया रेडियो में ए श्रेणी के कलाकार हैं। पंडित जयतीर्थ मेवुंडी किराना घराने के प्रमुख गायकों में से एक हैं, उनका प्रारंभिक प्रशिक्षण घर से शुरू होता है, और वे मुख्य रूप से भजन और अन्य भक्ति संगीत गाते हैं। 14 साल की उम्र में वे एक गुरु की तलाश में निकले थे उन्होंने एक दशक से अधिक समय तक पंडित अर्जुन नकोड से शिक्षा प्राप्त की, और बाद में पंडित भीमसेन जोशी के शिष्य श्रीपति पादीगर से प्रशिक्षण लिया। वे शास्त्रीय संगीत के लिए एक उदार औार आध्यात्मिक दृष्टिकोण अपना रखते है एवं उनके अनुसार, उनकी शिक्षा विभिन्न घरानों के विभिन्न महानुभावों से ली हुई है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्य प्रस्तुतियों में नवीन गंधर्व एंड ग्रुप कि ओर से प्रस्तुतियां दी गई जिसमें वे बेलाबहार और तबला पर भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी देशों का समामेलन मधुर धुन बजाया। नवीन गंधर्व पहले विरासत, देहरादून में प्रस्तुति दे चुके है और वे यहां फिर से कार्यक्रम में शामिल होने पर बेहद खुश हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि देहरादून के संगीत प्रेमी दर्शकों के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में से एक है। उनके साथ प्रस्तुति करने वाले अन्य कलाकारों में अजहर अहमद और तबला पर सोहम परले, सोप्रानो पर दिनेश सोलंकी एवं उनके भाई देवानंद गंधर्व कीबोर्ड पर थे।

पंडित बाबूलाल गंधर्व द्वारा बेलाबहार का आविष्कार संगीत जगत के लिए एक उपहार है और भारतीयों के लिए यह गौरव कि बात है कि इस तरह की उत्कृष्ट कृति यहां बनाई गई है। बेलबहार एक अनूठा वाद्य यंत्र है जो यह सारंगी और वायलिन का मेल है जो पंडित बाबूलाल गंधर्व द्वारा निर्मित एक नया वाद्य यंत्र है। बेलाबहार दिलरुबा, तर-शहनाई, रावणहट्टा, वायलिन, सारंगी आदि जैसे अधिकांश प्रकार के वाद्य यंत्रों का विकल्प रहा है। निस्संदेह यह किसी भी प्रकार के संगीत के लिए अधिकतम सुविधाओं के साथ मैजुद वाद्ययंत्र का सबसे आधुनिक रूप है। इसके मधुर ध्वनि व्यक्ति को रचनात्मकता और खुबसूरती से परिचय कराती है जो इस वाद्य यंत्र को सबसे अलग बनाती है।नवीन गंधर्व एक युवा बहु-प्रतिभाशाली संगीतकार हैं, जो अपनी विशिष्ट शैली के साथ समान जुनून और निपुणता के साथ ’बेलाबहार’ और तबला नामक अद्वितीय वाद्य यंत्र बजाते हैं। उनके गुरु महान उस्ताद अल्लारखा और पं. बाबूलाल गंधर्व है।

वह देवास, मध्य प्रदेश से हैं एवं पंडित काशीराम के कुलीन परिवार में पैदा हुए एक प्रसिद्ध सारंगी मास्टर है उन्होंने अपने नानाजी पं मानसिंह, पं विश्वनाथ मिश्रा से तबला का प्रारंभिक प्रशिक्षण लिया और बाद में तबला जादूगर उस्ताद अल्लारखा से पंजाब घराने में प्रशिक्षण लिया।हालाँकि उन्हें तबला पसंद है, लेकिन उन्होंने अपने पिता की विरासत को अपने बेहतरीन प्रयासों के साथ जीवित रखने के लिए समान रूप से बेलाबहार पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है। उन्होंने अपनी प्रतिभा से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं।नवीन का बैंड ’अनुराज’, बेलबहार और तबला में उनकी दक्षता का एक प्रोडक्ट है, जो अपनी तरह का एकमात्र है, अनुराज भारतीय शास्त्रीय संगीत के अत्यधिक प्रतिभाशाली युवाओं के लिए एक मंच है जो भारतीय संगीत कला को उच्चतम स्तर तक ले जाने की दृष्टि रखता है।

संवाद365, निशा ज्याला

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