VIDEO: गित्येर 2018 की कहानी जिसने बच्चों को दिया एक मंच

February 20, 2019 | samvaad365

उत्तराखंड के पहाड़ों में हुनर की कमी नहीं है लेकिन संसाधनों के आभाव में यहां के हुनरमंद बच्चे गुम से हो जाते हैं. इन सभी को देखते हुए कुछ लोगों के मन में ये विचार था कि पहाड़ के बच्चों के लिए ऐसा क्या किया जाए।

जिससे की उनका हुनर सभी के सामने आए और उन्हें भविष्य की एक राह भी मिल पाए इसी विचार के साथ दिल्ली में  बद्री केदार सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था का गठन हुआ और काफी विचार विमर्श के बाद निर्णय लिया गया कि बच्चों को भविष्य की एक राह दिखाने के साथ साथ अपनी बोली भाषा से आज के बच्चों और युवाओं को जोड़ने के लिए लोकगीत और संगीत का ही सहारा लिया जाए. संस्था के द्वारा प्रदेश के तमाम इलाकों से सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चों के वीडियो मंगवाए गए. और उत्तराखंड के गांवों के स्कूलों में प्राधानाचार्यों से भी संपर्क किया गया.

जिसके बाद करीब 60 वीडियो प्रारंभिक दौर में संस्था को मिले. और इनमें से सिर्फ 15 वीडियो को चुना गया. जिसके बाद एक संगीत प्रतियोगिता का अयोजन हुआ जिसे नाम दिया गया गित्येर 2018 इस प्रतियोगिता में प्रथम इनाम 21000 द्वीतीय इनाम 11000 और तृतीय इनाम 5000 रखा गया. इसके बाद वीडियो के लिए जज के तौर पर विजय शैलानी डॉ सतीश कालेश्वरी शिवदत्त पंत और अनुराधा निराला तैयार हुईं. इस कांसेप्ट के बाद लोग भी संस्था के साथ जुड़ते चले गए. कार्यक्रम की तारीख 25 दिसंबर तय हुई और नरेंद्र सिंह नेगी भी कार्यक्रम में पहुंसे साथ ही संगीतकार मोती शाह और गणेश खुगसाल ने कार्यक्रम का संचालन किया बच्चों ने अपना हुनर दिखाया और जजों ने इस हुनर की सराहना भी की. यानी कि पहाड़ के बच्चों के लिए और अपनी बोली भाषा से जुड़ने के लिए बद्री केदार सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था के द्वारा उठाया गया ये कदम काफी सफल भी हो रहा है.

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दिल्ली/मयंक आर्य 

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