गढ़वाल नाट्य मंच के मंझे हुए कलाकार प्रेम सिंह कैंतुरा का निधन हो गया. प्रेम सिंह कैंतुरा हिंदाव लैणी-पंगरियाणा महरगांव के रहने वाले थे. जब उत्तराखंड अलग राज्य नहीं बना था तब मुंबई जैसे महानगर में उन्होंने कई नाटकों में अभिनय किया. उस दौर में हर महीने मुंबई में कम से कम एक या दो नाटकों का मंचन जरूर होता था. उस दौर में ज्योति राठौर (ज्योति), कुंदन सिंह नेगी, प्रेमलाल रंगीला, चंदर एम एस कैंतुरा, रमेश गोदियाल, भीम सिंह रावत, बलराज नेगी, बलदेव राणा, अशोक मल्ल जैसे कलाकारों के साथ उन्होंने भी कई नाटकों में अभिनय किया. साथ ही संगीतकार केदार जोशी, लोकगायिका कल्पना चौहान, संगीतकार शिवप्रसाद सुरीरा जैसे कलाकारों के साथ भी अपनी संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए दिल्ली मुंबई के कई मंचों पर काम किया ऐसा कोई नाटक शायद ही होगा जिसमें प्रेम सिंह कैंतुरा का रोल न रहता हो. और उनके बिना कोई नाटक पूरा भी नहीं लगता था.
उनके लिए अलग से डॉयलॉग और रोल लिखे जाते थे. प्रसिद्ध नाटक कुटुमदारी में निभाया गया उनका करणु नाम का रोल उनकी पहचान ही बन गया. जिसके बाद उन्हें इसी नाम से बुलाया जाने लगा. करणु मामा ने कुछ हिंदी फ़िल्मों में भी काम किया है. प्रेम सिंह कैंतुरा हमेशा जोश से भरे रहते थे. उनका जाना उत्तराखंड समाज और संस्कृति के लिए एक बड़ी क्षति है.
(संवाद 365/ प्रवीण ओझा)
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