धूमधाम से मनाया गया उत्तराखंड के प्रथम गीतकार गढ़रत्न जीत सिंह नेगी और स्वर्गीय गोपाल बाबू गोश्वामी का जन्मदिन

February 3, 2019 | samvaad365

राजधानी देहरादून के प्रेस क्लब में देवभूमि आर्ट्स क्लब के तत्वाधान प्रदेश के संस्कृतिकर्मियों, रंगकर्मियों व फ़िल्म स्टेज कलाकारों द्वारा पहले दिन सुप्रसिद्ध लोकगायक जीत सिंह नेगी का 94वां जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया गया। देवभूमि आर्ट्स क्लब के राजेन्द्र चौहान  द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी, हास्य कलाकार व वर्तमान में राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त सँस्कृति विभाग के उपाध्यक्ष घनानन्द सहित कई सुप्रसिद्ध कला संस्कृति प्रेमियों ने इस कार्यक्रम में शिरकत  की। इस दौरान कई सँस्कृतिकर्मियों द्वारा अपने उदगारों में लोकगायक जीत सिंह नेगी से जुड़ी यादों को साझा किया गया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे संगीतकार राजेन्द्र चौहान ने कहा कि जीत सिंह नेगी उत्तराखण्ड के पहले ऐसे लोककलाकार हैं जो सर्वप्रथम गीतकार व गायक कलाकार कहलाये। उन्हीने सन 1949 में अपने गीतों का ग्रामोफोन बाजार में उतारा। सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने जीत सिंह नेगी से जुड़ी अपनी यादें ताजा करते हुए कहा है कि जब हम में से कई जन्में भी नहीं थे तब जीत सिंह नेगी के गीत ग्रामोफोन के माध्यम से हम तक पहुंच गए थे। उन्होंने कहा तब कोई सोच भी नहीं सकता था कि एकल गायन में कोई गीत गाया भी जा सकता है । उन्होंने कहा कि उन्होंने टी सीरीज कंपनी से लोकगायक जीत सिंह नेगी के गीतों पर एक कैसेट निकाला जो उस समय सुपरहिट हुआ।

उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि राजेन्द्र चौहान जैसे व्यक्ति की वह खुलकर प्रशंसा करते हैं क्योंकि वे अपने से सीनियर कलाकारों को ऐसा मंच दे रहे हैं।

इस दौरान गढ़वाल सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना व फ़िल्म अभिनेता बलराज नेगी व गीतकार गायक दरवान नैथवाल ने जीत सिंह नेगी द्वारा रचित नाटकों जिनमें जीतू बगडवाल व माधौ सिंग भंडारी पर चर्चा करते हुए अपने अपने अनुभव बांटते हुए कहा कि वे इन नाटकों में विभिन्न किरदार निभाते आये हैं। इस दौरान फ़िल्म अभिनेता कांता प्रसाद ने भी अपनी बात रखी।

 

लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी व लोकगायिका कल्पना चौहान ने अपने अपने अंदाज में लोकगायक जीत सिंह नेगी के गीतों को गाके उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं प्रेषित की। इस अवसर पर लोक गायिका संगीता धौंडियाल ,अभिनेत्री गीता उनियाल, अभिनेता अब्बू  रावत, लोक गायक सौरव मैथानी ,गिरीश पहाड़ी ,अमित बडोनी ,पूनम सती ,गोविंद नेगी,संजय कुमोला, विनोद चौहान, किशोर रावत आदि लोग मौजूद रहे एवं अन्य संस्कृतिकर्मी शामिल हुए।

इसी कड़ी में दूसरे दिन उत्तराखंड के लोकगायक स्वर्गीय गोपाल बाबू गोश्वामी जी के जन्मदिवस पर उनके यादगार गीतों के साथ उन्हें याद किया गया। स्वर्गीय गोश्वामी ७० के दसक में केले बजे मुरली, उठ सवा उजाउ हेगो, हाय तेरी रुमाल जैसे गीतों के साथ पहाड़ी जनमानस के बीच बेहद लोकप्रिय हो गये थे। शुरुआती दौर में ग्रामोंफ़ोन पर पहाड़ी गीतों को लाने और गाने का श्रेय भी गोश्वामी जी को है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी मोहनउप्रेती और बृजेंद्र लाल शाह के साथ पहाड़ के लोक जीवन पर गोपालबाबू गोश्वामी जी अविस्मरणीय योगदान दिया।

देवभूमि आर्ट्स क्लब, देहरादून की तरफ़ से इस अवसर पर एक सांस्कृतिक आयोजन किया गया। उत्तराखंड के लगभग सभी संस्कृतिकर्मी , कलाकार , रंगमंच के लोग, और सामाजिक क्षेत्र के लोग उपस्थित थे।  नयी पीढ़ी के कलाकारों ने उनके लोकप्रिय गीतों को गाया जिसमें कुछ कलाकार नयी पिड़ी के थे। वक्ताओ ने गोश्वामी जी के कला योगदान के बिभिन्न पक्षों पर चर्चा की।

इस अवसर पर उनके बेटे अमित गोश्वामी ने देवी बाराहि, हाय तेरी रमाला, जा चेलि सुरासा चेलि। पूनम सती ने आमें की डाई माँ घुगति नी बासा। रोहित चौहान ने रूपसा रमोती और सौरभ मेठानी ने जय मैया दुर्गा भवानी तथा कल्पना चौहान ने भूर- भूर उजायु हेगो गाकर उन्हें याद किया।

इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक राजेंद्र चौहान ने कहा कि गोपाल बाबू गोश्वामी जैसे कलाकारों को याद किया जाना और नयी पिड़ी उनके योगदान के बारे में बताया जाना बहुत ज़रूरी है।

उफटारा के प्रदीप भंडारी ने कहा की गोपाल जी के गीत आज भी पुराने नही पड़े हैं। उन्मे मौलिकता थी। मुख्य अतिथि ललित जोशी और समाजसेवी सुरेंद्र हालसी ने कहा कि इस आयोजन में लोगों का आना यह साबित करता है कि लोग परम्परागत और मौलिक गीतों को आज भी पसंद कर रहे हैं। वरिष्ट पत्रकार मनोज इष्टवाल  नेकहा कि वह पूरे उत्तराखंड में स्वीकार्य थे।

इस अवसर अभिनेता आबू रावत, विकास शाह, कांता प्रसाद, बलराज नेगी, पत्रकार किशोर रावत ,गोबिंद नेगी , सोहन चौहान, शैलेंद्र पतवाल आदि लोग मौजूद थे।

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देहरादून/संध्या सेमवाल

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