ऋषिकेश बदरीनाथ राजमार्ग श्रीनगर से रुद्रप्रयाग के बीच जगहों पर हाईवे बेहद खराब स्थिति में है। चमधार और सिरोहबगड़ में भूस्खलन जोन मुसीबत का कारण बने हुए हैं। यहां कब पहाड़ी से पत्थर बरसने लगें, कहा नहीं जा सकता। सिरोहबगड़ से नौगांव तक सात किमी हाईवे पर गड्ढों की भरमार है।
इससे निजात पाने के लिए पपडासू बाईपास का निर्माण किया जा रहा है। हालांकि, पांच वर्ष बाद भी ढाई किमी सड़क और पुल नहीं बन पाए हैं। दूसरी ओर, रेलवे परियोजना से नारकोटा में भी सड़क की हालत खराब हो चुकी है। गौरीकुंड, यमुनोत्री और गंगोत्री हाईवे भी फिलहाल अच्छी स्थिति में नहीं है।
केदारनाथ और केदारघाटी को जोड़ने वाले रुद्रप्रयाग गौरीकुंड हाईवे पर बने बेलणी पुल की हालत दयनीय है। इस पुल से बड़े वाहनों की आवाजाही बंद है। तीन माह बाद इसी जर्जर पुल से प्रतिदिन सैंकड़ों छोटे वाहन गुजरेंगे।
सीमा सड़क संगठन ने हेलंग से जोशीमठ तक दस किलोमीटर हाईवे का चौड़ीकरण कार्य पूरा कर लिया है। यात्राकाल में यहां जगह-जगह जाम लगता था। बीआरओ ने हिल कटिंग कर हाईवे को चौड़ा कर दिया है। अब डामरीकरण की तैयारी है। बीआरओ के अधिकारियों का कहना है कि यात्रा शुरू होने से पहले इस हिस्से में हाईवे को पूरी तरह से दुरुस्त कर लिया जाएगा।
जोशीमठ से मारवाड़ी तक हाईवे बेहद तंग है। भू-धंसाव के कारण जोशीमठ पेट्रोल पंप से मारवाड़ी तक हाईवे पर जगह-जगह दरारें हैं। बीआरओ कार्यालय के समीप हाईवे करीब आधा फीट तक धंस गया है। इससे वाहनों की आवाजाही मुश्किल से हो पा रही है। बीआरओ ने यहां हाईवे पर मिट्टी और सीमेंट का भरान कर दिया है। जेपी कॉलोनी के पास भी हाईवे की स्थिति अच्छी नहीं है।
कर्णप्रयाग से जोशीमठ के बीच लंगासू, नंदप्रयाग, पार्थाडीप, बाजपुर, चमोली चाड़ा, क्षेत्रपाल, छिनका, बिरही चाड़ा, कौडिया, पाखी, गडोरा में भूस्खलन जोन सक्रिय हैं। इन स्थानों पर हल्की बारिश में भी पहाड़ी का दरकना आम बात है। हाईवे पर लामबगड़ और खचड़ा नाला सबसे ज्यादा संवेदनशील है। यहां हाईवे के दोनों तरफ बह रहे गदेरे बरसाती सीजन में उफान पर होते हैं और सड़क का कई मीटर हिस्सा बहाव की भेंट चढ़ जाता है। यहां पिछले एक वर्ष में कोई ट्रीटमेंट न होने से इस बार भी यहां बरसात में हाईवे के बाधित होने के आसार हैं।
संवाद 365,परी रमोला
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