जालौन: बी एल बजाज स्कूल में नारी सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन

March 11, 2020 | samvaad365

जालौन: जनपद जालौन के बी एल बजाज स्कूल में नारी सशक्तिकरण, एसिड अटैक, दहेज मुक्ति, महिलाओं के लिए सम्मान एवं समानता आदि विषयों को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें आए अतिथियों ने सभी विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान विद्यालय के बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए।

बीएल बजाज स्कूल में महिला दिवस को लेकर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ रक्तकर्णिका डाॅ. ममता स्वर्णकार, महिला थाना प्रभारी नीलेश कुमारी, शशि सोमेंद्र सिंह, डाॅ. रंजना दुबे, ऊषा गुप्ता, शैलजा मित्तल आदि द्वारा मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन कर किया गया। कार्यक्रम में रक्त कर्णिका के नाम से ख्यति प्राप्त डाॅ. ममता स्वर्णकार ने कहा कि आज का समय है कि महिलाओं को उनके जेंडर से नहीं बल्कि काम से सम्मान मिल रहा है। यह अच्छी बात है। लेकिन इस दिशा में और भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। महिला थाना प्रभारी नीलेश कुमारी ने कहा कि एक तरफ हम वैश्विक बन रहे हैं, डिजिटल क्रांति की तरफ बढ़ रहे हैं। जबकि नारी और पुरुष दोनों समाज के अभिन्न अंग हैं तो अधिकारों में असमानता क्यों। कंधे से कन्धा मिलाकर चलने वाले समाज को स्नेह व विश्वास के साथ काम करने के अवसर व सम्मान देने की जरूरत है। शशि सोमेंद्र सिंह ने कहा कि दहेज समाज के लिए अभिशाप है। हमें स्वयं के साथ ही बच्चों को भी देहज प्रथा जैसी कुरीतियों के प्रति सचेत करना होगा। डाॅ. रंजना दुबे व विमला तिवारी ने कहा कि एसिड अटैक करता कोई है। लेकिन उसकी सजा बेगुनाह को जीवन भर भुगतनी पड़ती है।

घर के बेटों को हमें महिलाओं और युवतियों के प्रति सम्मान सिखाना होगा। ऊषा गुप्ता, शैलजा मित्तल व डायरेक्टर डाॅ. रानी गुप्ता ने संयुक्त रूप से कहा कि नारी शक्ति ही वो शक्ति है जो अपने साहस, परिश्रम और दूरदर्शिता से असंभव को संभव कर दिखाती है। महिलाएं समाज व परिवार की रीढ़ होती हैं। इसलिए समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिए जाने की आवश्यकता है। मैनेजिंग डायरेक्टर शिवम सिंह सेंगर व प्रिंसिपल डॉ. मधु तिवारी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि केवल एक दिन के महिला दिवस से ही काम नहीं चलेगा। हमें दैनिक जीवन में महिलाओं के प्रति सम्मान व्यक्त करना होगा। महिलाएं ही अपने त्याग, समर्पण और परिश्रम से हमारे जीवन में रंग भरती हैं। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ऋग्वेद दौर तक देश में महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त थे, परंतु कालांतर में स्थिति बिगड़ने लगी। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर समुचित भागीदारी के बिना महिला सशक्तीकरण का लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता। कार्यक्रम में बेटियों की भागीदारी को लेकर छात्रा जया, नंदिनी, आयुषी व जान्हवी द्वारा प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रम को सभी अतिथियों ने विशेष रूप से सराहा।

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संवाद365/पवन गुप्ता

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