बाधाओं के बाद भी नहीं टूटा हौसला… अब जीता स्वर्ण पदक… पढ़िए पहाड़ की बेटी अंकिता की कहानी

October 7, 2019 | samvaad365

देहरादून: उत्तराखंड के बच्चों, युवाओं को अगर मौका मिले तो वह देश दुनिया में अपने हुनर का लोहा मनवा सकते हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पहाड़ की बेटी अंकिता ने लाख बाधाओं के बाद भी अपने हुनर को व्यर्थ नहीं जाने दिया। मूल रुप से पौड़ी के जहरीखाल ब्लॉक के मेरूड़ा गांव की रहने वाली अंकिता ध्यानी महज 16 साल की उम्र में नेशनल जूनियर स्कूल गेम्स में 1500 मीटर, तीन हजार मीटर व पांच हजार मीटर की दौड़ में राष्ट्रीय चैंपियन है। लेकिन एक वक्त वो भी था जब अंकिता कड़ी मेहनत करने के बाद भी नाकामी देख रही थी। मगर कहते हैं न कि अगर हौसला मजबूत हो तो कामयाबी आपको जरूर मिलती है। दरअसल, अंकिता ने आठवीं कक्षा में पहली बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया। साल 2013-14 में रांची में संपन्न हुए स्कूल गेम्स में अंकिता ने 800 व 1500 मीटर की दौड़ में प्रतिभाग किया। इस दौड़ में वह चौथे स्थान पर रहीं। इसके बाद 2014-15 और 2015-16 में अंकिता दोबारा नेशनल स्कूल गेम्स तक पहुंची, लेकिन प्रथम तीन में स्थान नहीं बना पाई। शिकस्त मिलने के बाद भी अंकिता ने उम्मीद नहीं छोड़ी और फिर शुरू हुआ अंकिता की जीत का सफर।

साल 2016-17 में एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से तेलंगाना में आयोजित तीन हजार मीटर की दौड़ में अंकिता ने प्रथम स्थाना हासिल किया इसके बाद इसी साल यूथ फेडरेशन की ओर से बड़ोदरा में आयोजित प्रतियोगिता में पुन: तीन हजार मीटर की दौड़ में प्रथम स्थान हासिल किया। इसके बाद अंकिता निरंतर कामयाबी की ओर बढ़ती चली गई। हाल ही में तमिलनाडु में आयोजित नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अंकिता ने स्वर्ण पदक जीता। वह इन दिनों इंटरनेशनल स्कूल गेम्स में प्रतिभाग करने के लिए अभ्यासरत हैं। अंकिता ने अपने सपनों को साकार कर दिखाया है। बहरहाल, हम तो यही कामना करेंगे कि अंकिता ऐसे ही अपनी कामयाबी की ओर बढ़ती रहे। संवाद365 उन्हें उनकी उपलब्धियों के लिए ढेरों शुभकामनाएं देता है।

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संवाद365/काजल

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