चमोली: शीतकाल के लिए भू-बैकुंठ धाम बदरीनाथ के कपाट बंद होने से पूर्व होनी वाली पंच पूजाएं आज से शुरू हो गईं. इसके तहत पहले दिन धाम में आज पूजा पाठ के बाद गणेश मंदिर के कपाट बंद किए गए. गौरतलब है कि बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने से पूर्व पंच पूजाओं का विशेष महत्व है. इसकी प्रक्रिया गणेश मंदिर के कपाट बंद करने के साथ आज से आरंभ हो चुकी है.
धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के सानिध्य में धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल व वेदपाठियों ने पूजा-अर्चना के बाद आज विधि विधान से गणेश मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए. अब कल बृहस्पतिवार को दूसरी पूजा के तहत धाम में तप्त कुंड के निकट धूनी रमाये भगवान आद्य केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद किए जाएंगे. 15 नवंबर को खडग पुस्तक की पूजा होगी. खडग पुस्तक की पूजा का विधान लोक विरासत का हिस्सा भी है.
16 नवंबर को मां लक्ष्मी का आह्वान किया जाएगा. इस दिन रावल भगवान की सखी का वेश धारण कर मां लक्ष्मी को भगवान नारायण के साथ गर्भगृह में आने का न्यौता देंगे. 17 नवंबर को साँय 5 बजकर 13 मिनट पर विधि-विधान के साथ बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे. इससे पूर्व, भगवान नारायण के सखा उद्धव जी के विग्रह को भगवान के सानिध्य में गर्भगृह से बाहर लाया जाएगा और मां लक्ष्मी के विग्रह को भगवान के निकट विराजमान किया जाएगा.
(संवाद 365/ पुष्कर नेगी)
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