रूद्रप्रयागः विकास की दौड़ में सूख गए कई प्राकृतिक जल स्रोत

August 1, 2019 | samvaad365

रूद्रप्रयाग: अपने अमृत जैसे जल के लिए जाने जाने वाले उत्तराखंड के पहाड़ों में प्राकृतिक जल स्रोत धीरे-धीरे सूख रहे हैं. ये ऐसा संकेत है जिससे साफ झलकता है कि अगर जल ही खतरे में है तो मानव सभ्यता का कल भी खतरे में है. उत्तराखंड के कई प्राकृतिक जल स्रोत सूखने की कगार पर हैं. रूद्रप्रयाग जिले के खांकरा में छांतीखाल गांव के लोग कई सालों से प्राकृतिक जल स्रोत पर निर्भर थे. इसी जल स्रोत से सिंचाई भी की जाती थी. लेकिन विकास की दौड़ में गांव तक सड़क पहुंची तो ब्लास्टिंग के चलते प्राकृतिक जल स्रोत पूरी तरह से सूख गया.

ये कहानी अकेले रूद्रप्रयाग के छांतीखाल गांव की नही बल्कि ऐसे सैकड़ो गांव पहाड़ में हैं जहॉ प्राकृतिक जल स्रोत किसी न किसी कारण से सूख गए हैं. आंकडो की अगर बात की जाए तो जल संस्थान रूद्रप्रयाग 278 पेयजल योजनाओं के 300 पेयजल स्रोत हैं जिनमें से 28 स्रोत या तो सूख चुके हैं या फिर सूखने की कगार पर हैं. वही स्वजल योजना रूद्रप्रयाग के भी 1642 जल स्रोत हैं, जिसमें से करीब 10 प्रतिशत स्रोत या तो सूख चुके हैं या फिर सूखने की कगार पर हैं. डीएम मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि इस बार 54 ग्राम पंचायतो में लोगों की सहभागिता से जल संरक्षण का कार्य करवाया गया है.

(संवाद 365/ कुलदीप राणा )

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