दिवाली पर इन बातों का रखे विशेष ध्यान, वर्ना हो सकती है दिक्कत

October 24, 2022 | samvaad365

दिवाली 2022 का पावन पर्व पूरे उल्लास एवं उत्साह के साथ मनाएं। पर अपनी, परिवार और आसपास के लोगों की सुरक्षा का भी ख्याल रखें। विशेषज्ञों ने लोगों से सुरक्षित दिवाली मनाने की अपील की है। ईएनटी विशेषज्ञ डा. विकास सिकरवार और डॉ. पीयूष त्रिपाठी के मुताबिक पटाखों से 80 डेसिबल से अधिक स्तर की आवाज निकलती है। जिस कारण बहरापन, उच्च रक्तचाप और अनिद्रा जैसी स्थिति आ जाती है।

मिलावटी मिठाई से रहें दूर

स्पैक्स संस्था के अध्यक्ष डॉ. बृजमोहन शर्मा के मुताबिक त्योहारी सीजन में मावा मिलावटी होता है और मिठाइयां कई गुना ज्यादा बनती हैं। मिलावटी मावे में शकरकंदी, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है। मिलावटखोरी करने वाले मिल्क पाउडर में वनस्पति घी डालकर भी मावा बनाते हैं।

मावे में चर्बी, सस्ते कृत्रिम आयल का प्रयोग भी किया जाता है।मावे को हथेली पर रखने पर यदि यह तेल छोड़ता है तो मिलावट नहीं है। मावे को हल्के गुनगुने पानी में डाल दें और इसमें थोड़ा चने का आटा और चुटकीभर हल्दी मिला दें। यदि रंग गुलाबी हो जाए तो समझो मावे में मिलावट है।

वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट और डॉ. नारायणजीत सिंह के मुताबिक, मिलावटी मावा और रंग से बनी मिठाइयां सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। इसे खाने से एलर्जी, बेचैनी, उल्टी-दस्त, लिवर एवं गुर्दे में समस्याएं हो सकती हैं। पेट की पाचन क्रिया बिगड़ सकती है। चक्कर, अनिंद्रा, स्किन की समस्या हो सकती है। आंतों में कैंसर तक हो सकता है।

पटाखें सावधानी से चलाएं, पानी साथ रखें

कोरोनेशन की बर्न यूनिट के प्रभारी वरिष्ठ रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन डा. कुश एरन का कहना है कि उन्होंने 20 सालों में दिवाली में छोटे कम बड़ों को ज्यादा जलते देखा है। बड़े बच्चे अतिउत्साह में हाथ में लेकर और झुककर अनार जलाते हैं, जो बहुत खतरनाक है। तेज आवाज या धमाके वाला पटाखा जलाएं तो आसपास के लोगों को सावधान कर दें। पटाखें जलाएं, पर दो बाल्टी पानी जरूर रखें, आग लगने पर मग से पानी डालें। यदि जल जाएं तो घबराएं नहीं। साबुन और चलते पानी से हाथ को धोएं। किसी भी नजदीकी अस्पताल में जाएं।

स्किन और आंखों पर बुरा प्रभाव

चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल आर्य, डा. सादिक उमर, डा. नाजिया खातून और डा. भव्या संगल बताते हैं कि पटाखे सर्तकता से नहीं चलाने पर त्वचा झुलस सकती है और इस पर लंबे समय तक जले का निशान बना रहता है। पटाखों के जलने से त्वचा, बाल और आंखों की पुतलियों को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है। पटाखों में मौजूद नुकसानदेह रसायन त्वचा में शुष्कता और एलर्जी पैदा करते हैं। रसायनों के फैलने से बालों के रोमकूप कमजोर पड़ जाते हैं। बाल टूटने लगते हैं और बालों की प्राकृतिक संरचना भी बिगड़ती है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. सुशील ओझा और डा. चिराग बहुगुणा ने बताया कि पटाखों के कारण आखों में जरा सी चोट भी एलर्जी और नेत्रहीनता की स्थिति पैदा करती है। दुर्घटना से बचने के लिए चश्मा आदि पहनें। रंगोली बनाने के बाद अपनी आंखों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। ताकि रासायनिक पदार्थ आंख में न जाएं।

संवाद 365, दिविज बहुगुणा

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