देवभूमि में है कर्ण का भव्य मंदिर… लोगों की भीड़ देती है आस्था का प्रमाण… देखिए तस्वीरें

July 20, 2019 | samvaad365

मोरी, उत्तरकाशी: उत्तराखंड को देवभूमि इसलिए कहा जाता क्योंकि यहां पर देवताओं का वास माना जाता था. खासतौर पर पांडवों का संबंध उत्तराखंड से काफी गहरा रहा है. महाभारत काल की कई यादें आज भी उत्तराखंड से जुड़ी हुई हैं. महाभारत के युद्ध के बाद पांडव यहीं आए थे. और यहां के लोगों का जुड़ाव उनके साथ आज भी माना जाता है. यही वजह है कि यहां की सभ्यता संस्कृति में आज भी उन लोगों को याद किया जाता है.

मोरी उत्तरकाशी स्थित कर्ण का मंदिर
मोरी उत्तरकाशी स्थित कर्ण का मंदिर

सिर्फ पांडव ही नहीं कौरवों से भी यहां का संबंध रहा है. उत्तराखंड में एक जगह ऐसी भी है जहां के लोगों की आस्थ कर्ण में है. सीमांत जनपद मोरी में कर्ण का एक भव्य मंदिर स्थित है. और यहां पर एक भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है.

ढोल रणसिंह की धुन पर थिरकते लोग. एक दूसरे के साथ ताल पर ताल मिलाते  ग्रामीण. ये तस्वीरें है सीमान्त जनपद उत्तरकाशी की मोरी प्रखंड की. जंहा सिकतुर पट्टी के देवरा धान गाँव मे कर्ण को कर्ण देवता महाराज के नाम से जाना जाता है.

कर्ण देवता का मंदिर और मंदिर के सामने उमड़ी श्रद्धालुओ को भारी भीड़ कर्ण देवता में आस्था को बता रहा है. कर्ण देवता के पुजारी की माने तो सूरज दक्षिणनार्थ में चले जाने के बाद सूरज देवता को खुश करने के लिए कर्ण मंदिर के मंदिर   में भारी भीड़ उमड़ी है. ढोल दमाऊ पर नाचते पुजारी और भक्त कर्ण देवता के साथ सूर्य देवता को खुश कर अपनी मनोकामना के साथ यंहा पहुँचे है.

ग्रामीणों की माने तो कर्ण देवता पूरे क्षेत्र में खुशहाली बना कर रखते है. कोई भी परेसानी होने सभी कर्ण देवता की शरण मे जाते है. महाभारत काल की संस्कृति आज भी इस क्षेत्र में देखी जा सकती है और ये इनकी धरोहर भी है. महाभारत में जहां कर्ण को पांडवों का शत्रु माना जाता था तो वहीं इस क्षेत्र में कर्ण की पूजा की जाती है.

(संवाद 365/ किशोर रावत )

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