बल्लियों पर छत अटकी है… तो पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है… इस शिक्षा को क्या नाम दें

July 16, 2019 | samvaad365

रूद्रप्रयाग: दीवारों पर मोटी-मोटी दरार पड़ी ये तस्वीरें और बल्लियों के साहरे टिका यह छत्त आपको डरा जरूर रहा होगा. लेकिन यकीन मानिए इस जर्जर भवन में दो सौ से ज्यादा छात्र-छात्राएं पढ़ाई करती हैं. जी हाँ यह विद्यालय है रूद्रप्रयाग जनपद के विकासखण्ड अगत्यमुनि के राजकीय इण्टर कॉलेज चोपड़ा का. वर्ष 1947 यानि की जिस साल देश ने ब्रिटिश हुकुमत से आजादी पाई थी उसी वर्ष इस विद्य़ालय की नींव रखी गई थी. तब यह विद्यालय दशज्यूला पट्टी का इकलौता शिक्षा का केन्द्र था.

आज भी 15 से अधिक न्याय पंचायतों के विद्यार्थी यहां पढ़ने के लिए आते हैं. लेकिन आजादी के 70 वसंत बीत जाने के बाद इस इण्टर कॉलेज का दोबारा जीर्णोद्धार नहीं हुआ. हालात यह है कि विद्यालय का मुख्य भवन जर्जर हो रखा है और बल्लियों के सहारे उसकी छत टिका रखी जबकि दीवारों पर मोटी मोटी दरारे पड़ती हैं. इन दिनों जब बारिश आती है तो छत से पानी टपकने लगता है.

उधर दूसरी तरफ इस विद्यालय में महत्वपूर्ण विषयों के प्रवक्ता के पद भी पिछले लम्बे समय से रिक्त चल रहे हैं. हिन्दी, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, भूगोल और संस्कृत के प्रवक्ता ही नहीं हैं. जबकि व्यायाम वाणिज्य में पद खाली चल रहे हैं। ऐसे में बच्चे कैसे पढ़ाई करते है। इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है. विद्यालय की दयनीय स्थिति को देखते हुए अध्यापक भी अब अपने बच्चों को अन्यंत्र शिफ्ट कर रहे हैं. चैकाने वाली बात तो यह है कि कक्षा 6 में यहां एक भी विद्यार्थी नहीं है. जबकि कक्षा 7 और 8 में एक-एक विद्यार्थी है. हालांकि हाईस्कूल और इण्टर मीडिएट में दो सौ दस विद्यार्थी इस विद्यालय में हैं लेकिन होकर भी वो क्या कर लेंगे चिंता इस बात की है.

कई बार विद्यालय प्रबन्धन समिति और अभिभावकों द्वारा शिक्षा विभाग को अवगत कराने के बावजूद भी बाद भी शिक्षा विभाग की नजर इस विद्यालय की ओर नहीं गई तो साफ जाहिर हो रहा है कि शिक्षा विभाग कैसे छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है. उधर इस मामले में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि जनपद के सभी जर्जर भवनों को मानसून के दौरान अन्यंत्र शिफ्ट करने की कार्यवाही की जा रही है.

रूद्रप्रयाग जनपद में यह पहला विद्यालय नहीं है जो इस प्रकार से जर्जर हो रखा है. बल्कि अधिकांश सरकारी विद्यालयों के यही हाल है. कई बार ये भवन क्षतिग्रस्त होकर बड़े हादसे का कारण बनने बनते रह गए. लेकिन शिक्षा विभाग को न तो लोक जीवन की प्रवाह है और न वि़द्यार्थियों के भविष्य की ऐसे में जरूरत है समय रहते हुए शिक्षा तंत्र में फैली विसंगतियों को दूर करने की.

(संवाद 365/ कुलदीप राणा)

यह खबर भी पढ़ें-गुरूग्राम में उत्तराखंड के तीन लड़कों पर जानलेवा हमला दो की मौत

39455

You may also like