दिल की घातक बीमारी से जूझ रहा था उत्तरकाशी का मसूम हर्ष… अब वरदान साबित हुआ हंस फाउंडेशन

November 20, 2019 | samvaad365

भारत में करीब डेढ़ लाख बच्चे हृदय रोग के साथ पैदा होते हैं. इनमें से केवल 20,000 शिशुओं के परिवार ही उनका इलाज कराने में सक्षम होते हैं. जो लोग इस इलाज को नहीं करवा सकते उन लोगों पर क्या बीतती होगी, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. वे चाहकर भी अपने बच्चे का इलाज नहीं करा पाते हैं. लेकिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के दुर्गम गाँव लिवाड़ी के रहने वाले हर्ष के परिवार के लिए सही मायने में आज का दिन बड़े हर्ष का दिन. उनका हर्ष अब पहाड़ की पगडंडियों, खेत-खलिहानों और खेल-खिलौनों के साथ खेलेगा.

यह सब इसलिए हैं कि जो हर्ष जन्म से हृदय के घातक रोग से पीड़ित था. इस बच्चे के इलाज पर आने वाले खर्च के लिए हर्ष के माता.पिता असर्मथ थे. उस बच्चे को नया जीवन देने के लिए समाजसेवी माता मंगला एवं भोले महाराज के आशीष से द हंस फाउंडेशन लिटिल हार्ट्स प्रोग्राम के तहत हर्ष का इलाज करवा रहा  है.

हंस फाउंडेशन माता मंगला और भोले जी महाराज की यही परिकल्पना है कि देश में हर शिशु को इलाज मिले, वह स्वस्थ्य रहें और खुशहाल रहें. इसी मकसद के साथ दि हंस फाउंडेशन पिछले कई वर्षों से लिटिल हार्ट्स प्रोग्राम चला रहा है. यह कार्यक्रम उन नन्हें शिशुओं को समर्पित है. जिनके माता-पिता इलाज कराने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं. इन्हीं में से एक हैं हर्ष का परिवार.

हर्ष के पिता उपेंद्र और माँ रविंद्ररी देवी की आँखें नम है. इसलिए की द हंस फाउंडेशन के सौजन्य उनका बच्चा अपनी अठखेलियाँ खेल रहा है.

हर्ष की माँ माता मंगला एवं भोले जी महाराज  द हंस फाउंडेशन और उन सभी डाक्टरों का आभार प्रकट करते हुए बताती है कि द हंस फाउंडेशन और हमारे लिए देव समाना है. जिन्होंने हमारे बच्चे को नया जीवन दिया है. हमारे बच्चे के इलाज पर आया पूरा खर्चा द हंस फाउंडेशन ने उठाया है.

आपको बता दें की उत्तरकाशी जिले के दुर्गम गाँव जहाँ आज के समय में लोगों के आवागमन के लिए सड़क तक मयसर नहीं है. उस गाँव तक हंस फाउंडेशन पहुँचता है और जन्म से हृदय के घातक रोग से पीड़ित हर्ष का इलाज माता मंगला एवं भोले जी महाराज के प्रयास से अब दिल्ली में हो रहा है.

(संवाद 365/ काजल)

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