उत्तराखंड के विजय जड़धारी… बीज बचाओ मुहिम से कर रहे हैं कमाल

November 12, 2019 | samvaad365

टिहरी: बीज बचाओ आंदोलन के संयोजक विजय जड़धारी ने अपना पूरा जीवन बीज बचाने के लिए समर्पित कर दिया है. आज भी वो पारम्परिक खेती और बीजों को बचाने की मुहिम में लगे हुए हैं और ये मुहिम सफल होती भी दिख रही है. टिहरी जिले के चंबा ब्लाक के जड़धार गांव निवासी 66 वर्षीय विजय जड़धारी चिपको आंदोलन के साथ ही खनन विरोधी आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका में रहे.

जब उन्होंने देखा की परंपरागत खेती खत्म हो रही है तो 1985-86 से उन्होंने बीच बचाओ आंदोलन को सक्रिय करते हुए बीजो को एकत्र करना शुरू कर दिया. उन्होने कई राज्यों का भ्रमण किया और उनके साथियों ने साढ़े तीन सौ धान की प्रजातियों की खोज की. विभिन्न घाटियों में गेंहू की 30 से 32 प्रजातियों को ढूंढा. इसी तरह जौ, मंडुवा, झंगोरा और लोबिया की कई तरह की प्रताजियों को उन्होंने ढूंढ़ा और राजमा की 220 प्रजातिया खोज निकाली. जड़धारी के पास आज विभिन्न फसलों फलों की 400 से 500 प्रजातियां हैं. जड़धारी को उनकी इस मुहिम के लिए इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

जड़धारी की इस मुहिम से प्रेरित होकर अब अन्य लोग भी पारम्परिक उत्पादों की तरफ खींचे चले आ रहे हैं. ऋषिकेश-चंबा राजमार्ग पर खाड़ी में अरण्य रंजन ने तो फास्ट फूड सेंटर खोलने की बजाए अब पारम्परिक व्यंजनों का पहाड़ी रेस्टोरेंट खोला है. और लोगों को पहाड़ी उत्पादों से बने हुए व्यंजन दिए जा रहे हैं जिसे खासा पंसद भी किया जा रहा है और इससे कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है.

टिहरी से शुरू हुई विजय जड़धारी की बीज बचाओ की मुहिम अब धीरे धीरे फैल रही है, और सफल होती भी दिखाई दे रही है. जिससे अन्य लोग भी इससे जुड़ रहे हैं और अपने पारम्परिक खाद्य पदार्थों को अपना जहां खेती को बढ़ावा मिल रहा है वहीं कई तरह की बीमारियों से भी निजात मिल रही है.

(संवाद 365/ बलवंत रावत )

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