प्रधान जी बस्ता जमा ह्वैगी अब- अनिल नेगी की गढ़वाली कविता

July 14, 2019 | samvaad365

प्रदेश में पंचायत चुनाव होने को हैं. इसके लिए अब प्रधान साहब की प्रधानी सभी ग्राम पंचायतों में खत्म हो चुकी हैं. बस्ते जमा होने की प्रक्रिया शुरू हो गई यानी कि ग्राम पंचायत क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत में प्रशासक नियुक्त हो गए. इसी पर आप पढ़िए ये गढ़वाली कविता.

प्रधान जी बस्ता जमा ह्वैगी अब

शोर-शब्द कुछ नी ह्ववै ,
प्रधानजी तुम्हारा जाण मा
मैना भर गौं सेण नि दिनि छौ तुमुन,
पिछली बार आण मा

जै दिन बटि जीती छा तुम,
भ्वां फुंडै की छ्वीं नी छै
रोज ऊटपंटाग छा कना
ख्वैटी तुमारी भ्वीं नि छै

गारु का अंगार बणैन,
मौल माटु मिलै तुमुन
गौं का बाटा टुटण दिन्या
अपरा पुस्ता चिंणै तुमुन

चेला चपटा छा जु
तुमारी बाँट-खाण मा
बिलोक की कुर्सी छुटगै
अब सि भी रैला ग्वाँण मा

ब्याली तलक त खूब तड़ी मा छा
कार्यकाल खतम ह्ववैगी अब
फट फरकी पठाल अर्
बस्ता जमा ह्ववैगी अब।

पाँच बरष फ्वीं फ्वां करी
झपकी गैन टुप खम्मा ह्ववैग्या अब
यन लगणू जन
देवत्या बैठग्या खादरा भितरू
अर् बयाल रम्मा ह्ववैगै अब

अनिल सिंह नेगी 
जखोली, रूद्रप्रयाग।

लेखक परिवहन कर अधिकारी हैं और ये कविता लेखक की फेसबुक वॉल से ली गई है.

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