पहाड़ी कनेक्ट… जब बेंगलुरू में बिखरी पहाड़ी छटा

May 15, 2019 | samvaad365

उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने के लिए आज के समय में कई तरह से कार्य किए जा रहे हैं. ये कार्य सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा अपने अपने स्तर पर किए जा रहे हैं. और हो भी क्यों न क्योंकि उत्तराखंड की संस्कृति और सभ्यता है ही इतनी अनोखी. उत्तराखंड महासंघ बेंगलुरू के द्वारा भी अपने स्तर पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. जिससे की उत्तराखंड की संस्कृति और सभ्यता का प्रचार प्रसार राज्य के बाहर भी हो सके साथ ही इस धरोहर का संवर्धन भी हो सके. एक बार फिर से उत्तराखंड महासंघ बेंगलुरू के द्वारा एक और प्रयास किया गया है.

महासंघ के द्वारा पहाड़ी कनेक्ट नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें युवाओं तक अपनी बोली भाषा को पहुंचाना मुख्य उद्देश्य था. इस कार्यक्रम में प्रवासी उत्तराखंडियों ने उत्तराखंड की आंचलिक भाषा कुमाऊनी-गढ़वाली के शब्दों की जानकारी लोगों को दी साथ ही अपने त्यौहारों, लोकगीतों, लोकनृत्यों की जानकारी भी लोगों तक पहुंचाई. इसके साथ साथ इस कार्यक्रम में पहाड़ी व्यंजनों का भी आनंद लिया गया. इस कार्यक्रम के दौरान कोदे के बिस्कुट, पिसा नमक, बुरांस का जूस, बाल मिठाई जैसे पकवानों को दोने पत्तलों मे परोसा गया. खास बात ये भी रही कि ये पत्तल मालू के पत्तों से निर्मित थे. कार्यक्रम में बेंगलुरु के पतंजलि प्रमुख व उत्तराखंड मूल के कैप्टेन राजेंद्र सिंह ने कार्यक्रम में जुटे लोगों को योग सिखाया व उत्तराखंड में योग के लिए आमंत्रित किया.

कार्यक्रम के संयोजक रमन शैली ने बताया की युवाओं में अपनी बोली भाषा व संस्कृति के प्रति बढ़ते हुए रुझान को देखकर इस कार्यक्रम की रुपरेखा तय की गई. इस कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि मेजर जनरल वीपीएस भाकुनी ने कुमाउंनी में अपना संबोधन दिया. साथ ही उत्तराखंड मूल की अदिति जोशी के कैंसर जागरूकता स्टार्टअप सी- पॉजिटिव की ओर से कुमाऊनी गढ़वाली कक्षा ले रही दीपाली तिवारी व सुषमा कुकरेती को सम्मानित किया गया. उत्तराखंड महासंघ के अनुज जोशी और ललित सनवाल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया. कर्यक्रम में पवन रावत, सोहन रावत, रोमिल आदि का विशेष योगदान रहा.

संवाद 365/ काजल

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