उत्तराखंड में लंपी रोग का कहर चार जिलों में 32 पशुओं की हो चुकी है मौत

May 11, 2023 | samvaad365

उत्तराखंड में  लगातार बढता जा रहा है लंपी रोग का कहर , चार दिन के भीतर पर्वतीय जिलों में तीन हजार से अधिक पशु रोग की चपेट में आ गए हैं। जबकि चार जिलों में इससे 32 पशुओं की मौत भी हो चुकी है। कुमाऊं क्षेत्र में इसका ज्यादा प्रकोप है। इसे देखते हुए सरकार अब नियंत्रण के प्रयासों में जुट गई है। राज्य में गो व महिषवंशीय पशुओं के परिवहन, प्रदर्शनी पर एक माह के लिए रोक लगा दी गई है। साथ ही पशुपालन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों की छुट्टियों व प्रतिनियुक्ति पर अग्रिम आदेश तक रोक लगाई है।

बुधवार को विधानसभा स्थित सभाकक्ष में प्रेसवार्ता में पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि कुमाऊं मंडल में आने वाले जिलों में लंपी रोग फैला रहा है। अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, नैनीताल, रुद्रप्रयाग जिलों में 3131 पशु रोग की चपेट में आए हैं। इनमें 1669 रोगग्रसित पशु ठीक भी हुए हैं। 32 पशुओं की अब तक मौत हुई। प्रदेश में रोग से ठीक होने की दर 53.3 प्रतिशत और मृत्यु दर 1.02 प्रतिशत है।
पशुपालन मंत्री ने कहा कि रोग से बचाव के लिए पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है। आगामी 10 दिनों के भीतर रोग प्रभावित क्षेत्रों में शत-प्रतिशत पशुओं का टीका लगाया जाएगा।
लम्पी वायरस एक संक्रमित रोग है जो एक पशु से दुसरे पशु को हो जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि इसका संक्रमण मुख्य रूप से मच्छरों, मक्खियों, तत्तैयो, जूं आदि से फैल सकता है। इसके अलावा पशुओं के सीधे संपर्क में आने से भी फ़ैल सकती है। खासकर साथ खाने / दूषित खाने और पानी के सेवन करने से भी ये बीमारी फ़ैल सकती है। Lumpy Virus एक बहुत ही तेजी से फैलने वाला वायरस है। वर्तमान में 15 से भी अधिक राज्यों में इस बीमारी के फैलने की पुष्टि हो चुकी है। इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए समय पर लक्षणों की पहचान कर उनके आधार पर इलाज शुरू कर देना ही एकमात्र तरीका है।

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