2 वर्ष बाद भी रामनगर बस अड्डे की हालात ज्यों की त्यों है, चारदीवारी और वर्कशॉप बनने के बाद बजट के अभाव में रुका, वन विभाग से परिवहन विभाग पर भूमि ट्रांसफर ना होने की वजह से भी कार्य मे हो रही है देरी. 2 वर्ष पूर्व 22 करोड़ की लागत से राज्य का पहला बस पोर्ट बनने की मिली थी मंजूरी।
रामनगर क्षेत्र वासियों की सालों से चली आ रही बधाल रामनगर बस अड्डे की मांग को 2 साल पहले स्वीकृति भी मिली थी. जहां 2 साल पहले केंद्र सरकार से रामनगर रोडवेज बस अड्डे को बस पोर्ट बनाने की को लेकर हरी झंडी मिल गई थी वही लोगों को कहीं ना कहीं उम्मीद थी कि अब जल्द ही 22 करोड़ से ज्यादा की लागत से बनने जा रहा बस पोर्ट का कार्य जल्द पूरा होगा लेकिन 2 साल बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। बता दें कि 2वर्ष पूर्व राज्य सरकार से बस कोर्ट की वर्कशॉप व चारदीवारी को लेकर 2 करोड 21 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे। जिसमें रामनगर परिवहन विभाग द्वारा चारदीवारी व वर्कशॉप का निर्माण कार्य शुरू कर दिया था वही अब बजट पैसा ना होने की वजह से कार्य रुक गया है।
इस बारे में क्षेत्रीय विधायक दीवान सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के समय से रामनगर बस अड्डे को बनाने को लेकर स्थानीय लोगों की लंबे समय से मांग थी व कई बार इसके शिलान्यास भी हुए, उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने यह कार्य प्रारंभ भी किया और 2 करोड़ 21 लाख रुपए स्वीकृत भी हुए जिसमें जितना कार्य हो सकता था उतना कार्य हुआ। उन्होंने कहा कि बस पोर्ट के माध्यम से भी इसमें पैसा आना था लेकिन उसमें कुछ दिक्कतें आने की वजह से जैसे वन विभाग से परिवहन विभाग को लैंड ट्रांसफर होनी थी व नही हो पाई, उसकी वजह से पैसा रिलीज नहीं हुआ। विधायक ने कहा कि इसको देखते हुए राज्य सरकार ने तय किया है कि तीन करोड़ रुपये इस बजट सत्र में इसको स्वीकृति करने की बात आई है, विधायक ने कहा कि बजट सत्र में 3 करोड रुपए स्वीकृत होने के बाद कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। वही आपको बता दें कि बन रहे बस अड्डे में यात्रियों के लिए कड़ी धूप में न ही रुकने के लिए कक्ष है और ना ही शौचालय जिससे यात्रियों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वही 2 वर्ष से ज्यादा समय होने के बाद भी राज्य का 22 करोड़ से ज्यादा लागत से बनने वाले बस पोर्ट का कार्य होता हुआ नहीं दिख रहा है।
संवाद 365, अमित बेलवाल
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