बगावत का बिगुल फूंकने वाले मंगल पांडेय को आज ही के दिन हुई थी फांसी

April 8, 2019 | samvaad365

भारत की आजादी कई क्रांतिकारियों और वीर योद्धाओं के जीवन बलिदान का परिणाम है। इस देश में वैसे तो कई महान क्रांतिकारी हुए लेकिन देश में आजादी की चिंगारी सुलगाने वाले मंगल पांडेय की कहानी भारतीय इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है। आठ अप्रैल यानि आज ही के दिन मंगल पांडेय को फांसी दी गई। 1857 क्रांति के जनक मंगल पांडेय ही थे जिन्होंने बैरकपुर से आजादी की ऐसी चिंगारी सुलगाई जो पूरे देश में आग की तरह फैली। मंगल पांडेय से अंग्रेज अफसर इस कदर खौफजदा थे कि उन्होंने तय तारीख से 10 दिन पहले ही उन्हें फांसी पर लटका दिया। इतना ही नहीं उनका खौफ इतना था कि अंग्रेजी हुकूमत के जल्लादों ने मंगल पांडे को सूली पर लटकाने से मना कर दिया। क्रांति के नायक मंगल पांडेय ने बगावत का ऐसा बिगुल फूंका था जिसकी गूंज देशभर में सुनाई दी।

भारतीय इतिहास में आठ अप्रैल का दिन क्यों है खास..

आठ अप्रैल का दिन इतिहास के लिहाज से और भी कई मायनों में खास है। 1894 में आज ही के दिन बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का कलकत्ता में निधन हुआ था। बंकिम चन्द्र ने भारत के लिए वंदे मातरम की रचना की थी। आज ही के दिन देश में धधकती आजादी की आंच को दुनियाभर में पहुंचाने के लिए भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 1929 को दिल्ली के सेंट्रल एसेंबली हॉल में बम फेंका था। हालांकि इस बम धमाके का मकसद अग्रेजी हुकूमत को नुकसान पहुंचाना नहीं था बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन की ओर ध्यान आकर्षित करना था। बम धमाके के बाद भगत सिंह ने आज ही के दिन अपनी गिरफ्तारी दी थी। 8 अप्रैल 1950 को ही भारत और पाकिस्तान के बीच लियाकत-नेहरू समझौता हुआ था। इस समझौते का मकसद दोनों देशों में रह रहे अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने और भविष्य में दोनों देशों के बीच युद्ध की संभावनाओं को खत्म करने के मकसद से किया गया था।

संवाद365 / पुष्पा पुण्डीर

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