कौशांबी: रेडियो पर मशरूम की खेती के बारे में सुनकर युवक ने नौकरी छोड़ खेती बाड़ी में चमकाई किस्मत

January 13, 2021 | samvaad365

यूपी के कौशांबी के एक छोटे से गांव के रिटायर्ड सेक्रेटरी के बेटे का खेती बाड़ी के प्रति ऐसा जुनून चढ़ा कि उसने बीटीसी की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी नहीं की. बल्कि मशरूम की खेती का प्लान बनाया.

जानें एक ऐसे युवा के बारे में जिसने मशरूम की खेती से मुनाफा कमाकर कौशांबी के युवकों को आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया.

सरसवा विकास खंड से सटे शिवरा गांव के कामता प्रसाद सेक्रेटरी के पद पर रहने के बाद रिटायर हो गए हैं. उनके बेटे बुद्ध प्रिय ने भी एमए की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वर्ष 2012 में बीटीसी की पढ़ाई पूरी की और नौकरी के लिए अप्लाई भी कर दिया. शिक्षक पद के लिए उसका सूची में नाम भी आया. लेकिन उसका रुझान नौकरी की तरफ नहीं जा रहा था. बल्कि खेती बाड़ी की तरफ रुझान बढ़ा. ऐसे में पिता कामता प्रसाद ने उससे पूछा कि अब क्या करना चाहते हो तो उसने बताया खेती बाड़ी करने का प्लान है. तो पिता ने मशरूम, स्ट्रॉबेरी सहित अन्य की खेती करने की योजना बताई.

इसके बाद बुद्ध प्रिय ने मशरूम की खेती की तरफ अपना रुझान बढ़ाया और इस खेती को कैसे करना है, इसके लिए खोजबीन शुरू कर दी। बुद्ध प्रिय ने बताया कि एक दिन वह रेडियो पर खेती बाड़ी के बारे में सुन रहा था तो अचानक से मशरूम की खेती करने की विधि भी बताई जाने लगी. इतना ही नहीं कहां-कहां इसका प्रशिक्षण होता है इसके बारे में भी रेडियो पर ही जानकारी हासिल की. फिर क्या था बुद्ध प्रिय ने उत्तराखंड पहुंचकर मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण लिया। इसके बाद वह अपने घर वापस आया और फिर बैंक से तकरीबन 5 लाख रुपए निकाला और 6 बिस्सा में खेती करने के लिए मशरूम फार्म बनाया.

किसान बुद्ध प्रिय ने बताया कि मशरूम की खेती करने के लिए सबसे पहले भूसा एकत्रित करना होता है। फिर बांस लाना पड़ता है। बाजार से प्लास्टिक की पॉलीथिन सड़ी गोबर की खाद, राख लाइट की व्यवस्था, समय-समय पर पानी देने के लिए नलकूप होना चाहिए या फिर छोटा सबमर्सिबल भी काम कर सकता है. मशरूम फार्म के भीतर खेती के लिए बेड ( चेम्बर) बनाना पड़ता है, जो 5 से 10 फिट में कम से कम एक दूसरे के ऊपर 5 बेड बनाया जाता है. उसने यह भी बताया कि इसका बीज 120 से 250 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलता है। 1 महीने तक बीज लगाने के बाद इंतजार करना पड़ता है. फिर इसके फल निकलने लगते हैं. वैसे तो साल के पूरे 12 महीने तक खेती की जा सकती है. लेकिन खेती ठंडी के मौसम में अच्छी होती है, क्योंकि यह 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर होता है. गर्मी में खेती के लिए एयर कंडीशनर फार्म होना चाहिए. ठंढी के मौसम में खेती करने के लिए सितंबर और अक्टूबर में काम शुरू हो जाता है. मार्च तक खेती होती है.

(संवाद 365/नितिन अग्रहरि)

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