देहरादून की सड़कों पर फूलदेई की धूम

March 14, 2019 | samvaad365

देहरादून, फूल-फूल माई / फूल देई त्यौहार मानव व प्रकृति के पारस्परिक संबंधों का ऋतु पर्व है । आज राजधानी देहारादून में यूथ आइकॉन क्रिएटीब फाउन्डेशन के तत्वावधान में  ‘रंगोली आंदोलन’ की रचनात्मक मूहीम के चलते इस हिमालयी पावन ऋतु पर्व को नौनिहालों ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया । सबसे पहले बच्चों की सामूहिक टोली राज्यपाल के द्वार पर पहुंची जहां उन्होने राजभवन के द्वार पर एक साथ मिलकर रंग बिरंगे फूलों की बरसात की । महामहीम भी पर्वतीय परंपरानुसार तय वक़्त पर अपने द्वार पर बच्चों के स्वागत के लिए खड़े थे । इस बीच सभी बच्चे द्वार पर फूल बरसाते हुए ‘फूल-फूल माई दाल द्ये चावल द्ये खूब खूब खाजा’ गाते रहे । परम्परानुसार बच्चे यह तब तक गाते हैं जब तक उन्हें गृह स्वामी की ओर से उपहार स्वरूप कुछ भेंट मे नहीं मिल जाता है ।

आज फूलदेई पर्व पर रंगोली आन्दोलन के तत्वावधान में हिल फाउन्डेशन स्कूल, मैपल बियर स्कूल, दून इंटर नेशनल स्कूल व मदर्स प्राईड स्कूल के 38 नौनिहालों  ने  मुख्यमंत्री की देहरी पर फूल वर्षाकर पर्व का शुभारम्भ किया . जबकि इस वर्ष से रंगोली आन्दोलन के इस अभियान को और भव्य बनाने के उद्देश्य से पर्वतीय समाज की महिलाओं  को भी साथ में जोड़ा गया है . महिलाओं द्वारा बच्चों की पुष्प वर्षा के साथ ही शानदार मांगलगीतों ने इस पर्व की भव्यता में चार चाँद लगा दिए .  मुख्यमंत्री ने भी आयोजनक की सराहना की. मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत स्वयं बच्चों के स्वागत के लिए अपने द्वार पर खड़े थे . उन्होंने परम्परानुसार बच्चों को अपने हाथ से एक एक मुट्ठी चावल व गेहूं भेंट मे दिया तत्पश्चात नौनिहालों को गिफ्ट पैकेट भी दिए । मुख्यमंत्री ने  कहा इस भव्य संस्कृति को बचाया जाना बहुत जरुरी है और आयोजक शशि भूषण मैठाणी के प्रयास रंग लाने लगे हैं अब बहुत स्थानों पर लोग पुनः इस पर्व को भव्यता के साथ मानने लगे है . मुख्यमंत्री ने मैठाणी की सराहना करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से आज गुजरात, उत्तर प्रदेश के अलावा विदेशों में भी लोग फूलदेई मनाने लगे हैं .

मुख्यमंत्री आवास के बाद सभी  बच्चे राजभवन  पहुंचे जहां उन्होने  राज्यपाल के द्वार पर भी पुष्प वर्षा की राज्यपाल बेबिरानी मौर्य  ने द्वार पर खड़े बालभगवान स्वरूप पुष्प बरसाते  बच्चों को परंपरानुसार गेहूं, गुड और चावल के अलावा अन्य उपहार भेंट किए  ।

तत्पश्चात  बच्चों की अलग अलग टोली  कर्जन रोड , सर्कुलर रोड, बलबीर रोड, धर्मपुर , करगी, पटेलनगर , बसंत बिहार व इंदिरा नगर के कई उन घरों में गए जहां नौनिहालों को आमंत्रित किया गया था .  बलबीर रोड स्थित एम् . एल जुयाल  व प्रभा जुयाल ने अपने घर पर बच्चों के लिए भोजन की व्यवस्था की थी . जिसके बाद मदर्स प्राइड  स्कूल के बच्चों  एक टोली इंदिरानगर बसंत विहार  क्षेत्र  में फूलदेई मनाने गए साथ ही  बच्चों द्वारा स्कूल में भी धूम-धाम  से फूलदेई का आयोजन किया गया जहा उनके अध्यापकों ने उन्हें गिफ्ट दिए .

 

रंगोली आंदोलन के संस्थापक व फूल देई के आयोजक शशि भूषण मैठानी पारस ने बताया कि बच्चों की टोली देख फिर आसपास से लोग उन्हें अपने अपने घरों मे बुलाने की जिद्द कर रहे थे लेकिन समय का अभाव होने के कारण सभी घरों मे जाना संभव नहीं हो पाया जबकि बच्चों ने राजपुर रोड, बलबीर रोड , तेगबहादुर रोड , लक्ष्मी रोड , बसंतबिहार , व इंदिरानगर सीमाद्वार आदि क्षेत्रों के उन सभी आम घरों मे जा जाकर पुष्प वर्षा की जिन गृह स्वामियों को पिछले एकमाह से इस बाल पर्व के बारे मे जानकारी रंगोली टीम की ओर से दी गई थी । आयोजक मैठानी ने बताया कि उनकी यह मुहीम विगत 6 वर्षों से जारी है और अब इस पर्व को लेकर क्या आम और क्या खास सभी मे जबर्दस्त उत्साह देखने को मिल रहा है । जिसे अब अगले वर्ष से और अधिक व्यापकता दी जाएगी प्रत्येक मौहल्ले मे अलग-अलग टोली बनाकर बच्चों को घर घर भेजा जाएगा ।

साथ ही मैठानी ने आज मुख्यमंत्री व राज्यपाल को दिए अपने लिखित ज्ञापन के मार्फत यह भी मांग कि है कि उनकी इस मूहीम के बाद कई संगठन भी इसके संरक्षण व संबर्धन के काम मे आगे आएंगे , लेकिन सरकार से विनम्र आग्रह है कि किसी भी आयोजक स्वयं सेवी संस्थावों या बच्चों की टोली को कभी भी रुपया / पैसा भेंट मे या आर्थिक मदद के तौर पर न दिया जाय एसा करने से फिर यह मूहीम भी सिर्फ धन जुटाने का माध्यम बनकर रह जाएगी । मैठानी ने कहा कि रंगोली आंदोलन उनकी एक सोच है जिसमें उन्हें हर तबके का साथ मिल रहा है । कहा कि रंगोली आंदोलन कोई एन जी ओ या संगठन नहीं है बल्कि यह आम लोगों के सहयोग से बनाया गया एक जनचेतना समूह है । मैठानी ने कहा कि आज के इस आयोजन पर मेरा महज 6 सो रुपया का खर्चा आया है इसके लिए मुझे किसी सरकार या संस्था की मदद की कभी भी जरूरत नहीं होगी । कहा कि जिस तरह हम होली दिवाली स्वयं के संसाधनो से मनाते हैं इसी तरह यह पर्व भी मनाया जाना चाहिए । यह पैसों से नहीं बल्कि भावनाओं से संरक्षित होगा । लेकिन उन्होने कहा कि वह लगातार तीन वर्षों से सरकार से मांग कर रहे हैं कि फूलदेई पर्व के मौके पर हर वर्ष सरकारी अवकाश का प्रविधान हो और इसे एक सांस्कृतिक पर्व घोषित किया जाया साथ केंद्र सरकार से अनुरोध किया जाय कि इसे राष्ट्रीय बाल फूलपर्व घोषित किया जाय ।

पर्वतांचल की यह अनूठी बाल पर्व की परम्परा जो मानव और प्रकृति के बीच के पारस्परिक सम्बन्धों का प्रतीक है वह वर्तमान मे अपनी पहचान खोता जा रहा है । अत: आज के फूल फूल माई / फूल देई के शुभअवसर पर इस पत्र  के मार्फत अपने सभी सम्मानित मीडिया संस्थानों , मीडिया कर्मियों, संस्कृति कर्मियों सामाजिक चिंतकों से निवेदन है कि व इस सामाजिक, सांस्कृतिक एवं पारम्परिक बाल पर्व के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अपने  स्तर से भी जोरदार पहल करें ।

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देहरादून/काजल

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