हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा की सौंवी जयंती पर विशेष

April 25, 2019 | samvaad365

हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा की गुरुवार को सौवीं जयंती मनाई गई। अपनी बुद्धिमता और कूटनीति के लिए जाने जाने वाले हेमवती नंदन बहुगुणा का जन्म उत्तराखंड स्थित पौड़ी के बुधाणी गांव में 25 अप्रैल, 1919 में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा गढ़वाल में ही हुई थी जिसके बाद आगे की शिक्षा उन्होंने डीएवी कॉलेज देहरादून और राजकीय विद्यालय इलाहाबाद से पूरी की। पढ़ाई के दौरान वह लाल बहादुर शास्त्री से मिले।

जिसके बाद वर्ष 1936 से 1942 तक वह छात्र आंदोलनों में शामिल रहे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में हेमवती नंदन बहुगुणा के योगदान ने उन्हें लोकप्रियता दिला दी। बहुगुणा की क्रांतिकारी सोच के चलते  अंग्रेजों ने उन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर पांच हज़ार रुपए का ईनाम रखा था। हेमवती नंदन बहुगुणा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की थी। वह 1952 से लगातार उत्तरप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य बने रहे। 1974 में बहुगुणा उत्तरप्रदेश से कांग्रेस के मुख्यमंत्री भी रहे। इसके साथ ही वह 1977 में केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में पेट्रोलियम, रसायन और उर्वरक मंत्री भी रहे थे। साथ ही 1979 में वह केन्द्रीय वित्त मंत्री भी रह चुके थे। 1977 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी पार्टी बनाई। 1977 के लोकसभा चुनाव में इनकी पार्टी को 28 सीटें मिली। जिसके बाद पार्टी का विलय जनता दल में हो गया। हेमवती नंदन बहुगुणा को देश का वित्त मंत्री बनाया गया। 1980 में जनता पार्टी में बिखराव होने के बाद चुनाव से ठीक पहले बहुगुणा एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। इस चुनाव में बहुगुणा गढ़वाल से तो जीते, लेकिन उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई। जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस और लोकसभा की सदस्यता दोनों छोड़ दी। 1982 के उपचुनाव में हेमवती नंदन बहुगुणा ने इसी सीट से जीत दर्ज की। लेकिन 1984 के चुनाव में राजीव गांधी ने बहुगुणा के खिलाफ अभिनेता अमिताभ बच्चन को खड़ा कर दिया। इस चुनाव में बच्चन ने बहुगुणा को 1 लाख 87 हजार के रिकॉर्ड वोट से हराया। जिसके बाद बहुगुणा ने राजनीति से ही सन्यास ले लिया। 17 मार्च 1989 को कुशल रणनीतिकार हेमवती नंदन बहुगुणा का निधन हो गया।

संवाद365/ पुष्पा पुण्डीर

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