राज्य को बने 22 साल हो गए हैं और उत्तराखंड के जनप्रतिनिधियों पर अक्सर यह आरोप लगते रहते हैं कि पर्वतीय राज्य होने के बाद भी उनके पर्वतीय क्षेत्रों से कम सरोकार रहते है। इसके साथ ही विधायक अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में रहने की वजह देहरादून में निवास करना ज्यादा पसंद करते हैं।
इस पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की राजधानी पहाड़ी क्षेत्र गैरसैंण की जगह देहरादून को राजधानी बनाए रखने की वजह से यह आरोप और भी पुख्ता हो जाते हैं लेकिन टिहरी विधानसभा के विधायक किशोर उपाध्याय ने एक पहल शुरू की है जो जनप्रतिनिधियों के लिए नजीर बन सकती है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आवास सुविधा देहरादून की बजाए अपने निर्वाचन क्षेत्र टिहरी में ही यह सुविधा उपलब्ध कराए जाने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि पत्र में उन्होंने उल्लेख किया है कि देहरादून या फिर भराड़ीसैंण में राजधानी बनती है तो वहां जो व्यवस्था है उसकी बजाय जिला मुख्यालय के विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में आवास उपलब्ध कराए जाएं। किशोर उपाध्याय ने कहा कि आज राज्य गठन को 22 वर्ष हो चुके हैं लेकिन प्रदेश मे अभी तक कोई आवास नीति नहीं है।
भले ही देहरादून में अधिकारियों,क्लर्कों, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए आवासों की व्यवस्था की गई है किंतु विधायक अब भी हॉस्टल में निवास करने पर विवश हैं, जो चिंता का विषय है। किशोर उपाध्याय ने नेशन सरकार के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि जब निशंक मुख्यमंत्री थे उस दौरान उन्होंने इस बात का विरोध किया था तब मेरा सामान यमुना कॉलोनी के आवास से बाहर फिंकवा दिया गया था, जबकि मैं वहां रहता भी नहीं था। उन्होंने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र,जैसे अन्य राज्यों व केंद्र सरकार की भांति आवास को लेकर एक नीति बनाए जाने की पैरवी की है। साथ ही उन्होंने राज्य सरकार विधानसभा और विधान सभा अध्यक्ष से आग्रह किया है कि इन बातों पर चर्चा होनी चाहिए और उसका निराकरण होना चाहिए।
बता दें कि टिहरी विधानसभा से भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय ने विधायक होने के नाते देहरादून में मिलने वाली आवासीय सुविधा को देहरादून की जगह अपने निर्वाचन क्षेत्र में यह सुविधा उपलब्ध कराए जाने की मांग की है। उन्होंने राज्य सरकार से जल्द ही प्रदेश में आवासीय नीति बनाए जाने का भी आग्रह किया है।
संवाद 365, संदीप रावत
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