स्वच्छता के संदेश के साथ घर घर पहुंच रही ब्यो की चिट्ठी

March 20, 2019 | samvaad365

स्वच्छता का संदेश दिगड़ी घर घर मां पहुचणि च ब्यो कि चिट्ठी

एक तरफ जहां कुछ लोग पहाड़ों से पलायन कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी बोली और संस्कृति को सिर्फ बढ़ावा ही नहीं दे रहे बल्कि इसे अपनी पहचान के रूप में पेश भी कर रहे हैं। ऐसा ही कुछ किया है पौड़ी गढ़वाल के प्रेम सिंह नेगी ने। प्रेम सिंह ने 19 अप्रैल को होने वाली अपने बेटे की शादी का कार्ड कुछ इस तरह डिज़ाइन करवाया है, जिसे देखकर कोई भी नज़र भर कर उसे देखना चाहेगा। दरअसल शादी का यह कार्ड सही मायनों में ब्यो की चिट्ठी है। जी हां, अंतर्देशीय के रुप में
डिज़ाइन किया गया यह कार्ड आपको पहली नज़र में एक पत्र मात्र लग सकता है।

विवाह के इस पत्र की ख़ासियत यह है कि इसमें छपी आमंत्रण सामग्री भी पूरी तरह गढ़वाली बोली में है। वहीं ब्यो की ये चिट्ठी भाषा बचाओ, संस्कृति बचाओ के साथ ही स्वच्छता का संदेश भी देती है। नीले अंतर्देशीय के रुप में छपा शादी का यह साधारण सा कार्ड सभी के बीच आकर्षण का केंद्र तो बना ही है। साथ ही यह पहाड़ के लोगों में बसी सादगी और सौम्यता को भी दर्शाता है। बता दें कि मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के प्रेम सिंह नेगी अपने परिवार के साथ ऋषिकेश में रहते हैं।  व्हाट्स ऐप और ईमेल ने किया अंतर्देशीय को रिप्लेस

एक ज़माना था जब लोग कई दिनों तक चिट्ठी के जवाब का इंतज़ार किया करते थे। लंबे इंतज़ार के बाद मिलने वाली चिट्ठी को पढ़ने का मज़ा ही अलग होता था। एक ही चिट्ठी को घर में कई बार पढ़ा जाता था। यह चिट्ठी कभी अंतर्देशीय के रूप में आती थी तो कभी पोस्ट कार्ड के रूप में।

बदलते दौर के साथ चिट्ठी की जगह ईमेल ने ले ली। जिसके बाद टेक्नोलॉजी और फास्ट हुई तो व्हाट्स ऐप चल पड़ा। अब ना चिट्ठी, न जवाब, बस खटाखट उंगलियां घुमाई औऱ हो गया मैसेज टाइप। वहीं प्रेम सिंह नेगी ने इस ब्यो की चिट्ठी से एक बार फिर वह यादें ताज़ा कर दी। इसके साथ ही लोगों को अपनी बोली और संस्कृति से जुड़े रहने का संदेश भी दिया है।

संवाद365 / पुष्पा पुण्डीर

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