उत्तराखंड के जंगलों पर लगी आग को लेकर प्रदेश की सियासत हुई तेज

April 24, 2022 | samvaad365

पिछले कई दिनों से उत्तराखंड के जंगलों को आग ने घेर रखा है। प्रदेश के जंगलों में लगातार आ की घटनाएं बढ़ रही है।करीब 53 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ हिमालई राज्य उत्तराखंड प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी जंगल में लग रही आग की घटनाओं से जूझ रहा है।  उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में दर्ज की जा रही है। इस आग से ना सिर्फ वनों को नुकसान उठाना पड़ रहा है बल्कि वन्यजीवों के लिए भी यह आग मुसीबत का सबब बन रही है। ऐसे में विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार जंगलों की आग को लेकर गंभीर नहीं है और यही कारण है कि जंगल लगातार जल रहे हैं। कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता गरिमा का कहना है कि उत्तराखंड के जंगल धू-धू कर जल रहे हैं, आग की जद में कई गांव आ चुके हैं और आग बुझाते बुझाते कई ग्रामीण भी घायल हो चुके हैं। वन मंत्री को इन परिस्थितियों में समीक्षा बैठक करनी चाहिए थी और जंगलों में आग को बुझाने के लिए कारगर कदम उठाने चाहिए थे, मगर वह अपने निजी कार्यों की वजह से मुंबई में हैं। कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि यदि वन मंत्री के लिए इस घड़ी में निजी कार्य प्राथमिकता है तो फिर उन्हें जिम्मेदार पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि यह हमारे पूरे राज्य की वन भूमि का मामला है, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पूरे नॉर्दन इंडिया को ऑक्सीजन कवर देता है। लेकिन इस राज्य को वनाग्नि की वजह से भारी चोट पहुंच रही है। विपक्ष ने सवाल उठाया कि आखिर वन मंत्री का मुंबई में ऐसा कौन सा निजी काम है, जहां उन्हें इतने दिन बिताने पढ़ रहे हैं।

वही जंगलों में लगी आग को लेकर सत्ता पक्ष का कहना है कि वनाग्नि को रोकने के लिए सरकार पूरी तरह से गंभीर है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ देवेंद्र भसीन का कहना है कि वनों की आग को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग पूरी ताकत के साथ काम कर रहा है। साथ ही जंगलों में आग बुझाने के लिए अन्य विभागों का भी सहयोग ले जाया जा रहा है। उन्होंने इस विषय को राजनीति से अलग बताते हुए कहा कि ये दुख की बात है कि कांग्रेस को हर बात पर राजनीति करने की आदत पड़ गई है। इसकी मुख्य वजह ये है कि कांग्रेस बार बार पराजित होने के कारण कुंठित हो गई है और अपनी कुंठा अनर्गल बयानबाजी करके निकालती है।

बता दें कि प्रदेश के जंगल धू धू कर जल रहे हैं और अब तक कई हेक्टेयर से अधिक की वन भूमि आग की चपेट में आ चुकी है। एक तरफ वन महकमा भगवान भरोसे बैठा हुआ है और बारिश का इंतजार कर रहा है कि वनों में लगी आग शांत हो जाए, लेकिन आज भी वनाग्नि की घटनाएं सामने आ रहे हैं। वनों में आग की घटनाओं से जहां वन संपदाओं को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है तो वही हिमालई क्षेत्रों में ऑर्गेनिक कार्बन तेजी से फैल रहा है और यह हिमालय की सेहत के साथ ही पूरे इकोसिस्टम के लिए खतरनाक माना जा रहा है।

संवाद 365, संदीप रावत

यह भी पढ़ें-लालकुआं-वन विभाग कि टीम ने आगमी मानसून सीजन में डेढ़ लाख पौधे लगाने का रखा लक्ष्य

74873

You may also like