पहाड़ के युवा नौकरी पाने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बने, ये सीख देने वाले जनरल रावत आज हमारे बीच नहीं

December 10, 2021 | samvaad365

रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत की चौपर दुर्घटना मं हुई मौत से हर कोई स्तब्द्ध है। श्रीनगर गढ़वाल उतराखंड की माटी के सपूत बिपिन रावत का अपनी मातृभूमि से बेहद लगाव था और वे जब भी मौका मिलता था वे उतराखंड जरूर आते थे। सेना प्रमुख जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के बाद भी वे अपने पौड़ी स्थित सैण-बिरमोली गांव आते थे । हाल ही में जनरल रावत हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के नौंवे दीक्षांत समारोह में एक दिसम्बर को विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे थे। जहां उन्होंने करीब 5 घटें बिताये। वे सेना के  प्रोटोकॉल के बावजूद यहां विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, शिक्षक, कर्मचारियों समेत कई स्थानीय लोगों से भी मिले थे।  उन्होंने श्रीनगर में अपने संम्बोधन में पहाड़ की विभिनन समस्याओं को लेकर अपनी चिंता जताई थी और  युवाओं को रोजगार की दृष्टि से नई सोच विकसित करने की प्रेरणा दी थी। उन्होंने दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को नौकरी को लेकर एक विशेष बात कही कि एक उच्च शिक्षा प्राप्त युवा को नौकरी पाने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनना चाहिए। उनका कहना था कि पहाड़ के युवा नौकरी पाने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बने। उन्होंने युवाओं से ऐसी कोशिश करने को कहा था जिस से पहाड़ के युवा दूसरों को रोजगार दें।

संवाद365,डेस्क

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