उत्तराखंड के लिए ख़ास होगा ये चुनावी दंगल…

March 13, 2019 | samvaad365

आम चुनाव का बिगुल फूंकने के साथ ही पार्टियों पर जीत का दबाव बढ़ गया है। 11 अप्रैल को पहले चरण में उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव होने हैं। हालांकि उत्तराखंड में लोकसभा की सिर्फ पांच सीटे ही हैं, लेकिन यह पांचों सीटें प्रदेश की दोनों दिग्गज पार्टियों के लिए हर मायने से खास हैं। जहां एक तरफ सत्ताधारी बीजेपी पर साल 2014 के प्रदर्शन को दोहराने का दबाव है तो वहीं कांग्रेस की भी भाजपा शासित प्रदेश में ही भाजपा को चारों खाने चित्त करने की कोशिश है।

केंद्र की अगर बात करें तो लोकसभा चुनाव का असली दंगल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच है। लेकिन उत्तराखंड में पार्टियों और सरकारों के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए जनता जीत और हार का फैसला करेगी। लिहाज़ा सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर भी जीत का प्रेशर बना हुआ है।

आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य गठन के बाद तीनों लोकसभा चुनावों के नतीजे सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ ही रहे हैं। साल 2004 में उत्तराखंड में सत्ता पर काबिज़ कांग्रेस महज़ एक लोकसभा सीट जुटा पाई थी। वहीं साल 2009 में एक भी लोकसभा सीट प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के हाथ नहीं आई। यह दौर साल 2014 में भी जारी रहा जब हरीश रावत सरकार के समय में बीजेपी ने पांचों लोकसभा सीटें कब्ज़ा लीं। ऐसे में आगे भी यह सिलसिला जारी रहता है तो सूबे में बीजेपी के लिए जीत पाना टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। हालांकि कौन हार का मुंह देखेगा और कौन जीत का जश्न मनाएगा यह तो 23 मई को चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।

यह खबर भी पढ़ें-लोकसभा चुनाव की तैयारी की बैठक

यह खबर भी पढ़ें-घनसाली से धनीलाल शाह एक बार फिर कांग्रेस में शामिल

संवाद365 / पुष्पा पुण्डीर

 

33299

You may also like