‘बड़ों के सदन’ को आप भी जानिए… राज्यसभा@250 विशेष

November 19, 2019 | samvaad365

राज्यसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है, सोमवार से शुरू हुए शीतकालीन सत्र के साथ ही राज्यसभा का एक ऐतिहासिक सत्र भी शुरू हो चुका है और यह सत्र है… राज्यसभा का 250वां सत्र. इस ऐतिहासिक सत्र की शुरूआत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने की पीएम मोदी ने राज्यसभा को संबोधित किया और उन बातों पर चर्चा की जो राज्यसभा के महत्व को बताती हैं.

भारत जैसे विविधताओं वाले देश में राज्यसभा का महत्व चेक एंड बैलेंस के रूप में सबसे ज्यादा है. राज्यों का प्रतिनिधित्व विधायिका में बना रहे इसलिए राज्यसभा को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. राज्य सभा का यह सत्र खास इसलिए भी है, क्योंकि राज्यसभा में अभी तक सदस्यों की संख्या 250 निर्धारित की गई है. इस लेख में हम यह समझने की कोशिश करेंगे की आखिर क्यों राज्सभा का 250वां सत्र विशेष रूप से आयोजित किया जा रहा है और इस सदन की इतनी चर्चा क्यों यानी कि यह क्या है कैसे बनता है इत्यादि.

भारतीय संसद को दो भागों में बांट कर समझा जाता है… राज्यसभा और लोकसभा हालांकि इसका एक अभिन्न अंग भारत का राष्ट्रपति (President Of India) भी होता है. लेकिन भारत का राष्ट्रपति न तो इनमें से किसी भी हाउस (House) का सदस्य होता है और न ही यहां बैठता है. राज्य सभा को उच्च सदन (Upper house) , दूसरा सदन या बड़ों का सदन भी कहा जाता है. लोकसभा को निचला सदन पहला चैंबर या फिर चर्चित सभा भी कहा जा सकता है.

जिस राज्यसभा को आज हम जान रहे हैं उसका गठन 3 अप्रैल 1952 को हुआ था और राज्यसभा की के पहले सत्र की पहली बैठक 13 मई 1952 को हुई थी. तब से लेकर अब तक यानी कि 67 सालों के इतिहास में राज्यसभा ने कई कीर्तिमान भी अपने नाम किए हैं भारत के विकास की इस यात्रा में राज्यसभा की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है चाहे वह सामाजिक विकास हो. आर्थिक विकास हो.

क्या है राज्यसभा की संरचना

राज्यसभा यानी कि बड़ों का सदन राज्यों के प्रतिनिधित्व के लिए अपना व्यापक महत्व रखता है. राज्यसभा में 250 सदस्यों के पद स्वीकृत हैं वर्तमान में सदस्यों की संख्या 245 है जिनमें से 233 सदस्य राज्यों से आते हैं जिनका निर्वाचन राज्यों की विधानसभा के सदस्य करते हैं. यह चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के आधार पर और एकल संक्रमणीय मत (Single Transferable Vote) के द्वार किया जाता है. राज्यों की जनसंख्या यह निर्धारित करती है कि उनके राज्य से इस सदन में कितना प्रतिनिधित्व होगा. उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश से 31 राज्यसभा के सदस्य आते हैं और त्रिपुरा जैसे राज्य से 1.

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संघ शासित राज्यों की भूमिका

राज्यसभा के सदस्यों की संख्या सिर्फ 2 केंद्र शासित प्रदेशों से है दिल्ली और पुड्डुचेरी से भी राज्यसभा के सदस्य आते हैं क्योंकि इन दोनों संघ राज्यों में विधानसभाएं अस्तित्व में हैं बाकी केंद्र शासित प्रदेशों से राज्य सभा के सदस्य नहीं चुने जाते.

राष्ट्रपति के नामित सदस्य

245 में से 233 अप्रत्यक्ष रूप से राज्यों के निर्वाचित सदस्य होते हैं जबकि 12 सदस्यों को देश के राष्ट्रपति के द्वारा नामित या नाम निर्देशित किया जाता है. यह सदस्य कला, साहित्य, विज्ञान और समाजसेवा जैसे क्षेत्रों से होते हैं.

राज्यसभा का पीठासीन अधिकारी सभापति कहलाता है. और भारत में राज्यसभा का पदेन सभापति उपराष्ट्रपति होता है. हालांकि उपराष्ट्रपति भी विशेष परिस्थितियों के अलावा अपने मत का इंस्तेमाल नहीं करता है. राज्यसभा के निरंतर चलने वाली संस्था भी है. साल 1952 से अस्त्वि में आई राज्यसभा निरंतर चलती है अर्थात इसका विघटन नहीं होता है. लेकिन हर दूसरे वर्ष में इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं लेकिन वो फिर से नामित या निर्वाचित भी हो सकते हैं.

क्या है कार्यकाल

भारतीय संविधान के द्वारा राज्यसभा के सदस्य का कार्यकाल निर्धारित नहीं किया गया था यह संसद के उपर छोड़ा गया था. लेकिन जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के आधार पर संसद ने राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष कर दिया था. जैसे ही राज्यसभा के सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं तो पुनः इनकी सीट भरी जाती है.

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कब मिला नाम

संसद केंद्र सरकार का एक विधायी अंग है इस संसदीय प्रणाली को वेस्टमिंस्टर माॅडल भी कहा जाता है. भारतीय संविधान का भाग पांच और अनुच्छेद Article (79-122) संसद के स्वरूप को बताती है. साल 1952 में गठन और पहले सत्र के बावजूद भी इसका नाम राज्यसभा या लोकसभा नहीं था. साल 1954 से पहले तक इसे राज्य परिषद और जनता का सदन कहा जाता था. साल 1954 के बाद इन्हीं सदनों को राज्यसभा, लोकसभा कहा गया.

रिकाॅर्ड बुक

राज्यसभा ने अभी तक अपने इतिहास में 3817 विधेयक पारित किए हैं.

राज्यसभा की 249वें सत्र तक 5,466 बैठकें हुई हैं.

60 बिल ऐसे रहे जो राज्यसभा में पास हुए लेकिन लोकसभा में पास नहीं हुए.

5 ऐसे बिल रहे जिन्हें लोकसभा ने पास किया लेकिन राज्यसभा में खारिज हुए

120 विधेयकों को संशोधन के बाद पार किया गया

राज्यसभा में 944 बिल अभी तक पेश किए गए

राज्यसभा में पहला विधेयक द इंडियन टैरिफ बिल 1952 था

सामाजिक सुधार से जुड़ा पहला कानून विशेष विवाह विधेयक1952 था जिसने वैवाहिक दायरों को बढाया

राज्यसभा में अभी तक 2282 सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं

जिनमें 208 महिला सदस्य रही और 137 मनोनीत रहे

राज्यसभा में सबसे ज्यादा 7 बार डाॅ महेंद्र प्रसाद सदस्य रहे

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह समेत 5 अन्य लोग 6 बार सदस्य रहे

राज्यसभा ने अभी तक के कार्यकाल में 2 बार राष्ट्रपति शासन के लिए मंजूरी दी है.

जिसमें पहली बार 1977 तमिलनाड़ु और नागालैंड

दूसरी बार 1991 में हरियाणा में शासन बढाने के लिए

किसी न्यायाधीश को हटाने का प्रस्ताव एक बार

राज्यसभा ने अपने तीन सदस्यों के खिलाफ निष्कासन किया

ध्यातव्य है कि भारत सरकार को बिल दोनों सदनों से पास करवाकर राष्ट्रपति को भेजना पड़ता है तब जाकर वह कानून का रूप लेगा. पिछले सालों तीन तलाक समेत ऐसे भी विधेयक रहे हैं जिन्हें लोकसभा में पास करवाने के बाद भी राज्यसभा में नही करवाया जा सकता. इसी बात से आप समझ सकते हैं कि राज्यसभा क्यों चेक एंड बैलेंस की स्थिति और राज्यों के प्रतिनिधित्व को बनाए रखती है.

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https://www.youtube.com/watch?v=8zFzng7DjWY

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