बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का उत्तराखंड दौरा, प्रदेश को लेकर आखिर क्या है पार्टी की रणनीति ?

December 4, 2020 | samvaad365

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 4 दिसंबर शुक्रवार से उत्तराखंड के 4 दिनों के दौरे पर रहेंगे. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे को प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनवों को देखते हुए तैयारियों का आगाज माना जा रहा है.

नड्डा का आने से प्रदेश में राजनीति के ये मायना निकाले जा रहे हैं की अब सारे राजनैतिक दल पूरी तरह से अपनी तैयारियों को पूर्ण रूप से मैदान में झोंक देंगे. नड्डा देशभर में 120 दिनों के दौरे पर रहेंगे. जिसका आगाज उनहोंने उत्तराखंड से ही किया है.

पहले उत्तराखंड में उनके कार्यक्रम को जान लेते हैं. शुक्रवार को जेपी नड्डा हरिद्वार में गंगा आरती में शामिल हुए जो होना ही था क्योंकि राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो बीजेपी गंगा से जुड़े मुद्दे हर चुनाव में उठाती रही है चाहे वो राज्य का चुनाव हो या केंद्र का. नड्डा के साथ केंद्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक भी गंगा आरती में शामिल हुए. जब भी बीजेपी का कोई बड़ा नेता हरिद्वार दौरे पर रहता है तो उनकी आस्था से इतर उस दौरे के काफी राजनीतिक मायने भी निकाले ही जाते हैं. और वो भी तब जब विधानसभा चुनाव में केवल डेढ़ साल से भी कम बचा हो.

हरिद्वार में नड्डा ने संतो से भी भेंट की. शांतिकुंज, अखाड़ा परिषद, निरंजनी अखाड़ा जाकर संतों से मिले. 2021 के हरिद्वार कुंभ को देखते हुए उनकी संतों के साथ ये बैठक के कई मायने हैं. क्योंकि एक सफल कुंभ को पार्टी 2022 चुनावों में पूरी तरह भुनाने की कोशिश करेगी.

5 से 7 दिसंबर तक नड्डा देहरादून में 14 संगठनात्मक बैठकों और कार्यक्रमों में भाग लेंगे. देहरादून में नड्डा बूथ समिति और मंडल समिति के साथ भी बैठक करेंगे. राष्ट्रीय अध्यक्ष का बूथ और मंडल अध्यक्षों के साथ बैठक करना काफी मायनों में अहम है क्योंकी इस तरह पार्टी का कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष पहली बार बूथ, मंडल और जिला अध्यक्षों के साथ एक मंच पर बैठक करेगा. बैठक को 2022 के चुनावों  को लेकर अहम माना जा रहा है क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ मंच साझा करना उनके अंदर भी ज्यादा जोश को भरेगा.

साथ ही देहरादून में बैठक में मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड भी नड्डा के द्वारा चेक किया जाएगा. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं की कोर कमेटी की बैठक के दौरान मंत्रिमंडल के विस्तार पर भी चर्चा हो सकती है.

बीजेपी की रणनीतिक शक्ति हमेशा से इसी मे रही है की राष्ट्रीय नेता केवल मंत्री और मुख्यमंत्रियों तक ही सीमित नहीं रहते बल्कि बूथ और मंडल लेवल तक कार्यकर्ताओं से जुड़ने की कोशिश करते हैं. अब देखना ये है की क्या बीजेपी अध्यक्ष के इस दौरे के बाद अन्य राजानीतिक दलों की तैयारियां किस तेजी से बढ़ जाती हैं. क्योंकि विधानसभा चुनावों में डेढ़ साल से भी कम का वक्त बचा है और सभी राजनीतिक दल चाहे वो कांग्रेस और उत्तराखंड क्रांति दल हो या प्रदेश में पहली बार सभी सीटों पर चुनाव लड़ कर अपनी किस्मत आजमाती आम आदमी पार्टी, सभी दल बीजेपी की तैयारियां देख कर अपने राष्ट्रीय नेतृत्व पर भी आंख लगाए बैठे हैं.

(संवाद 365/विकेश)

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