चमोली: गांव में थमा विकास का पहिया, ग्रामीणों ने मतदान से किया इंकार

April 4, 2019 | samvaad365

लोकतंत्र मे जनता वोट देकर जनप्रतिनिधियों का चुनाव करती है ताकि जनप्रतिनिधि उनकी समस्याओं का निराकरण करें। मगर जब जनप्रतिनिधि जनता की सुनेगे ही नहीं तो जनता को अपनी मांगो के लिए सडकों पर उतरना पडता है। कुछ इसी प्रकार का एक मामला कर्णप्रयाग विधानसभा के अंतर्गत देखने को मिल रहा है। जहां पर विधानसभा के दो गांवों के लोगों ने तीन सूत्रीय मांगो के लिए लोकसभा व पंचायत चुनावों के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। सोवमार को इन गांवो के सैंकडों लोगों ने सरकार व क्षेत्रीय लोगों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और रोड नहीं तो वोट नहीं की बात कही।

राज्य स्थापना के 19 साल बीत जाने के बाद भले ही सरकारे व जनप्रतिनिधि विकास को लेकर बडे बडे दावे और वादे करती हो मगर कर्णप्रयाग विधानसभा के दुरस्थ क्षेत्र के दो गांव पुनगांव व विषौंणा आज भी गुमनामी के अंधेरे में जी रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि उनकी तीन सूत्रीय मांगे है जिसको लेकर वे लम्बे समय से नेताओं के चक्कर काट रहे हैं मगर समस्याएं जस की तस बनी हुई है। लिहाजा उन्होंने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का मन बना दिया है। ग्रामीणों ने कहा कि पुनगांव व विषौंणा गांवों के बच्चों को इण्टर में दाखिला लेने के लिए गांव से 15 किलोमीटर दूर नंदासैण आना पडता है। जिससे बच्चे पठन पाठन का कार्य नहीं कर पाते है। स्कूल जाने के लिए सुनसान जंगल वाले रास्तों में जंगली जानवरों का भी डर लगा रहता है ऐसे में बेटियां कहा से पढ़ेंगी और कहा से बढेंगी। लिहाजा ग्रामीणों को मजबूरी में लोक चुनावों के बहिष्कार का ऐलान करना पडा है।

वहीं एक ओर जहां ग्रामीण शिक्षा का दंश झेल रहे है तो दूसरी ओर ग्रामीण सड़क की सुविधा से भी वंचित है। विषौंणा गांव को जाने वाली 5 किलोमीटर सड़क को 1999 में उत्तर प्रदेश सरकार में तत्कालीन मंत्री रहे रमेश पोखरियाल निशंक के द्वारा स्वीकृति दे दी गयी थी। 1999 में विषौंणा गांव को जाने वाली 5 किलोगीटर सडक की कटिंग के बाद 20 साल बीतने को है मगर अभी भी गांव तक पहुंचने वाली इस सड़क की दशा सुधर नहीं पायी है। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क हादसों को न्यौता दे रही है। जिससे सड़क पर वाहन भी नहीं चढ़ पाते है जिससे ग्रामीणों को 5 किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव को जाना पड़ता है। गांव में नौनिहालों को पढ़ने के लिए जूनियर स्कूल में प्रवेश लेने के लिए 6 किलोमीटर दूर पुनगांव आना पढ़ता है।

स्कूल और सड़क के साथ साथ कर्णप्रयाग विधानसभा के पुनगांव व विषौंणा गांव के लोगों को सरकार की महत्वाकांक्षी योजना उज्जवला गैस का भी कोई लाभ नहीं मिला है। सरकार व जनप्रतिनिधियों के दावों और वादों से तंग ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि आज तक उन्हे उज्जवला गैस योजना के तहत कोई फायदा ही नही मिला है। महिलाऐ आज भी जंगल लकड़ी लेने जाती है और तब जाकर घर का चुल्हा जलाती है। इतना ही नहीं डिजिटल इण्डिया के इस दौर में गांव में मोबाइल की भी कोइ कनेक्टविटी नही है। जिससे आज भी गांव के लोग देश और दुनिया से नहीं जुड़ पा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार अपने विधायक सुरेन्द्र सिंह नेगी को भी समस्या बता दी मगर सिवाय झूठे आश्वासनों के कुछ नहीं मिला जिससे उन्होंने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। ऐसे में अगर किसी भी पार्टी का नेता गांव में वोट मांगने के लिए आयेगा तो भगा दिया जायेगा।

कर्णप्रयाग विधानसभा के 895 मतदाता वाले दूरस्थ क्षेत्र के पुनगांव व विषौंणा के साथ साथ गैरसैण ब्लाक के स्यूणी मल्ली गांव में लोगो द्वारा मूलभूत समस्याओं के लिए चुनावों का बहिष्कार करना मंचों पर विकास के दावे करनें वाले नेताओं के मुंह पर जोरदार तमाचा है। अगर जनप्रतिनिधि समय से जनता के कार्य कर दें तो जनता को लोकतंत्र के इस महापर्व का बहिष्कार भी नहीं करना पडता।  भाजपा बाहुल्य पुनगांव व विषौंणा गांव के लोगों द्वारा चुनाव के बहिष्कार का भले ही राजनैतिक पार्टियों को नफा और नुकसान हो लेकिन मतदान का बहिष्कार किया जाना पूर्णत सफेद पोशों की नाकामी और लोकतंत्र के लिए एक बडे खतरे का संकेत भी है।

यह खबर भी पढ़ें-देहरादून: हरदा ने जलाई कांग्रेसी लंका- कोश्यारी

यह खबर भी पढ़ें-रुद्रप्रयाग: कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खण्डूडी ने लोगों से कांग्रेस पक्ष में वोट करने की अपील की

चमोली/पुष्कर नेगी

36563

You may also like