चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर, टिकट दावेदार मेरो सैरो परिवार, रंग बदलती चुनावी सियासत पर नरेंद्र सिंह नेगी की कविता वायरल

January 19, 2022 | samvaad365

उत्तराखंड में चुनावी हलचल के बीच गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने अपनी कविता के जरिए सियासत पर तंज कसा है । उनकी यह कविता खूब वायरल हो रही है ।

पढ़ें नरेंद्र सिंह नेगी की कविता 

सार-तार तेरि सब बिंगणू छौं
सुभौ मा मिश्री, छुयूंमा सक्कर
चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर…
ब्यालि परसि तक सेवा भि नि परची
आज बोनू सैरो भरोंसू त्वे पर
चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर…
एक्की टोपला म बल जुव्वां पड़ जांदन
भाजपाई छौ, अब कांग्रेसि कट्टर
चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर…
कैकु दल और कैकी नीति
हम यख छां, जख सत्ता की र्झरफर
चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर…
टिकट दावेदार मेरो सैरो परिवार
चा घोड़ा गधा हो, चा हो खच्चर
चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर…

नरेंद्र सिंह नेगी की इस कविता का हिन्दी में अर्थ यह है कि –

तेरी सारी बात मैं जान रहा हूं,

जुबान पर मिश्री और बातों में शक्कर है।

यह चुनाव का चक्कर है।

कल, परसों तक तू नमस्कार भी नहीं करता था,

आज बोल रहा है, सारा भरोसा तुम पर ही है।

लगातार एक ही टोपी पहनते हुए सिर में जूं पड़ जाते हैं, पहले भाजपाई था, अब कट्टर कांग्रेसी हूं।

मेरा सारा परिवार टिकट का दावेदार, वह चाहे घोड़ा-गधा हो या खच्चर।

किसका दल और किसकी नीति, हम वहीं रहेंगे, जहां सत्ता की चमक-दमक होगी।

संवाद365,डेस्क

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