पहाड़ों की लाइफ लाइन 108 एंबुलेंस सेवा पर लगा ग्रहण

January 2, 2019 | samvaad365

प्रदेश में गिरती स्वास्थय व्यवस्थाएं आज चिंता का विषय बनी हुई है. स्थिती यह है की पहाड़ो में डॉक्टर चढ़ना नहीं चाहते तो जो अस्पताल पहाड़ों में चल भी रहे हैं वहां स्टॉफ की भी भारी कमी है. लेकिन स्थित तब और गंभीर हो जाती है जब पहाड़ो की लाइफ लाइन कहे जाने वाली 108 एंबुलेंस सेवा पर भी ग्रहण लगता दिख रहा हो.

एक वक्त बड़ी संख्या में 108 एंबुलेंस सेवा पहाड़ो से लेकर मैदानी भागों में दौड़ती थी लेकिन आज इस एंबुलेंस सेवा को कई भारी परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है. इस वक्त 108 सेवा में लगने वाली एंबुलेंस की तो कमी है ही वही जो एंबुलेंस सड़को पर दौड़ रही हैं उनकी फिटनेस भी काफी खराब  है.

और स्थिती तब और गंभीर हो जाती है जब इस सेवा को आगे बढ़ाने वाले कर्मचारियों को कई महिनों से वेतन ना मिला हो. अभी स्थिती यही हैं 108 में काम करने वाले कर्मचारी लंबे समय से वेतन की मांग कर रहे हैं लेकिन उन्हे वेतन नही मिल पाया है. वही प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफ किया है की हम किसी भी हालत में स्वास्थ्य सेवा में अपनी अहम भूमिका निभाने वाली 108 सेवा को बंद नही होने देंगे.

एक ओर 108 एंबुलेंस सेवा बंद होने की कगार पर है तो दूसरी ओर पिछले लंबे समय से बड़ी संख्या में खरिदी गई एंबुलेंस स्वास्थ्य निदेशालय में खड़ी खड़ी धूल फांक रही हैं. लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया की उनमें मोटर वेकिल एक्ट की परेशानी सामने आ रही है जल्द उसे सही करके एंबुलेंसों का इस्तेमाल किया जायेगा.

पहाड़ी क्षेत्रों में 108 एंबुलेंस सेवा ने अपना लोहा मनवाया है. आज हर कोई इस सेवा पर अपना विश्वास जताता है. वही यह भी सबके सामने है की किस तरह से आज स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव तेजी से प्रदेश में बढ़ता जा रहा है. जिस वजह से प्रदेश को ना सिर्फ अच्छे डॉक्टरों की जरुरत है बल्कि अस्पतालों में सुविधा और पहाड़ो से मैदानों मे दौडती एंबुलेंस सेवा की भी जरुरत है।

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देहरादून/संध्या सेमवाल

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