नहीं रहे राजा मानवेंद्र शाह को मात देने वाले परिपूर्णानंद पैन्यूली, शनिवार को देहरादून में ली अंतिम सांस

April 13, 2019 | samvaad365

टिहरी रियासत और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले परिपूर्णानंद पैन्यूली का आज देहरादून में निधन हो गया। परिपूर्णानंद लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। शुक्रवार रात अचानक तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर आज उन्हें ओएनजीसी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। परिजनों ने जानकारी दी कि रविवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर टिहरी रियासत को स्वतंत्र भारत में विलय कराने में परिपूर्णानंद पैन्यूली का अहम योगदान रहा। साल 1924 में टिहरी के छौल गांव में उनका जन्म हुआ था। 1942 में वह 18 साल की उम्र में ही भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े।

जिसके बाद उन्हें 5 साल के लिए मेरठ जेल भेज दिया गया। साल 1947 में उन्हें टिहरी रियासत के खिलाफ आंदोलन छेड़ने के कारण टिहरी जेल भेज दिया गया। लेकिन जेल की बेड़ियां पैन्यूली को ज्यादा दिनों तक बांध कर नहीं रख पाईं। 1948 में वह टिहरी जेल से फरार होकर पैदल चकराता पहुंच गए। जिसके बाद उन्होंने फिर इस आंदोलन की शुरुआत की और आखिरकार वह टिहरी रियासत को भारतीय संघ में सम्मिलित करवाने में सफल रहे। अपनी लोकप्रियता के दम पर साल 1971 में टिहरी लोकसभा सीट से उन्होंने चुनावी ताल ठोंकी और राजा मानवेंद्र शाह को मात देकर संसद पहुंचे। इसके साथ ही पैन्यूली 35 सालों तक पत्रकारिता के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे। इतना ही नहीं उत्तराखंड के पहले सांध्य दैनिक समाचार पत्र का भी उन्होंने सम्पादन और प्रकाशन किया।

संवाद365 / पुष्पा पुण्डीर

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