अपने भाषण में अक्सर नेताओं को बड़े-बड़े वायदे करते हुए हम सबने सुना है,लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही बयां करती है एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया है नारायणपुरी गांव से, जहां एक बीमार महिला को गांव के ही लोगों ने बर्फ से ढके रास्तों से 17 किमी की पैदल दूरी नापकर बड़कोट अस्पताल पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद महिला को देहरादून रेफर किया गया। यमुनोत्री हाईवे पर हनुमानचट्टी से आगे एक सप्ताह बाद भी यातायात सुचारू नहीं होने व प्रशासन की ओर से मदद मुहैया नहीं कराने पर ग्रामीणों में रोष है।
उत्तरकाशी के नारायणपुरी गांव की जयमाला देवी (28) पत्नी अनय सिंह की बीते 26 जनवरी को अचानक तबियत बिगड़ गई थी, लेकिन नारायणपुरी से हनुमानचट्टी तक सड़क बर्फ से पटी होने के कारण परिजन उसे अस्पताल नहीं पहुंचा सके। क्षेत्र में बिजली एवं संचार सेवाएं भी ठप होने के कारण किसी को सूचना भी नहीं दी जा सकी।
27 जनवरी को महिला के पति अनय सिंह ने गांव से करीब एक किमी दूर स्थित जानकीचट्टी पुलिस चौकी में पहुंचकर समस्या बताई, जिस पर पुलिस ने वायरलेस सैट के माध्यम से बड़कोट थाने को इसकी सूचना देकर मदद मांगी। लेकिन मार्ग अवरुद्ध होने के कारण तहसील मुख्यालय से भी बीमार महिला तक कोई मदद नहीं पहुंचाई जा सकी।
ग्रामीण महिला को स्वयं ही कंडी में लादकर 17 किमी दूर स्यानाचट्टी तक पहुंच गए। यहां से निजी वाहन की मदद से महिला को बड़कोट स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने महिला को देहरादून रेफर कर दिया। डा. अंगद राणा ने बताया कि महिला मानसिक रूप से कमजोर होने की वजह से विचलित है।
इसके अतिरिक्त उसके स्वास्थ्य में किसी प्रकार की गंभीर दिक्कत नहीं है। हालांकि बेहतर इलाज के लिए उसे देहरादून स्थित मनोचिकित्सक के पास रेफर किया गया है। बीमार महिला को लेकर अस्पताल पहुंचे प्रमोद, संजय सिंह, नरेश, नितिन सिंह आदि ने सरकारी तंत्र के खिलाफ रोष जताया। उन्होंने कहा कि पुलिस तक सूचना पहुंचाने के बावजूद महिला को निकालने के लिए एसडीआरएफ व पुलिस की टीम नहीं भेजी गई। ऐसे में उन्हें स्वयं ही बर्फीले रास्तों से महिला को कंधों पर उठाकर लाना पड़ा।
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संवाद 365/संध्या सेमवाल