जानिए साहित्य के क्षेत्र में डॉ. निशंक का योगदान क्यों है ख़ास

March 16, 2019 | samvaad365

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान हरिद्वार सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के राजनीतिक करियर से उत्तराखंड के गांव-गांव के लोग परिचित हैं। लेकिन क्या आप उनके साहित्यिक योगदान के बारे में जानते हैं। अगर नहीं.. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि उत्तराखंड के हरिद्वार सीट से सांसद रमेश पोखरियाल साहित्यिक विधा के धनी हैं और साहित्य के क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान भी दे चुके हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके निशंक पिछले तीन दशकों से हिन्दी साहित्य में कविता, उपन्यास, कहानी, लघुकथा, खंड, काव्य, यात्रा साहित्य के साथ ही व्यक्तित्व साहित्य में भी विशेष भागीदारी रही है। उत्तराखंड के पौड़ी ज़िला स्थित पिनानी गांव के डॉ. निशंक का हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रति लगाव ही है कि अपने राजनीतिक जीवन में व्यस्तता के बाद भी विभिन्न विधाओं में उनकी 40 से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुईं हैं। डॉ. निशंक की इन साहित्यिक कृतियों ने ही हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उन्हें सम्मानजनक स्थान दिलाया है। उनका साहित्य खासतौर पर राष्ट्रवाद, जीवन, मूल्य, प्राकृतिक सुंदरता, ग्रामीण जीवन के साथ ही अभावग्रस्त सामान्य व्यक्ति की भावनाओं और संघर्ष पर केंद्रित है। वहीं देश के लिए उनका प्रेम भी उन्होंने अपनी देश प्रेम और राष्ट्रीय एकता को दर्शाती कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया है।

 

हिन्दी साहित्य में उनकी विशेष भागीदारी के लिए डॉ. निशंक को कई सम्मान और पुरुस्कारों से नवाज़ा जा चुका है। इतना ही नहीं उनके साहित्य को जर्मन, अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पैनिश, तेलुगु, मलयालम, मराठी के साथ ही देश-विदेश की कई भाषाओं में अनुवादित भी किया जा चुका है। इसके साथ ही डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की रचनाओं को बॉम्बे, चेन्नई और हैंबर्ग विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया है। उनके साहित्य पर शिक्षाविद् डॉ. श्यामधर तिवारी, डॉ विनय डबराल, डॉ. नागेंद्र, डॉ. सविता मोहन, डॉ. नंदकिशोर और डॉ. सुधाकर तिवारी ने डॉ. निशंक की रचनाओं पर कई शोध कार्य किए हैं साथ ही पी.एच.डी रिपोर्ट भी लिखी हैं। हिंदी साहित्य में उनके विशेष योगदान की अहमियत का आप इसी बात से अंदाज़ा लगा सकते हैं। वहीं कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्याल में शोधार्थी उनके साहित्य पर केंद्रित शोध कार्य कर रहे हैं। डॉ. निशंक की पहली रचना ‘समर्पण’ जो एक कविता संग्रह है साल 1983 में प्रकाशित हुई। जिसके बाद वो साहित्य के क्षेत्र में लगातार आगे ही बढ़ते रहे। अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद वह साहित्य में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। ड़ॉ. निशंक की कृतियों में 10 कविता संग्रह, 10 कहानी संग्रह, 8 उपन्यास, 1 लम्बी कविता, 1 पावन पारम्परिक यात्रा, 1 हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं में बालकथा, 2 व्यक्तित्व विकास के साथ ही स्वामी विवेकानंद का जीवन प्रबंधन भी शामिल है।

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संवाद365/ पुष्पा पुण्डीर

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