चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों…

June 3, 2019 | samvaad365

उत्तर प्रदेश: लोकसभा चुनाव 2019 भले ही खत्म हो गए हों, मोदी एक बार फिर जीत के बाद देश के प्रधानमंत्री बन गए हों, मोदी कैबिनेट का गठन भी भले ही हो गया हो लेकिन विपक्ष शायद अबतक इस सदमें से नहीं उभर पा रहा है कि सत्ता उनके हाथ से लुढ़क कर भाजपा के दामन में दोबारा जा गिर गई है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराने के लिए बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने गठबंधन की सरकार बनाकर राजनीति में महागठबंधन का सिक्का आजमाया था लेकिन अब शायद ये महागठबंधन की गांठ टूटने की कगार पर है। दरअसल, बसपा को सपा और राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन करने पर वो लाभ नहीं मिला जिसकी उसे इच्छा थी, ये प्रतिपुष्टि खुद बसपा की अध्यक्ष मायावती को यूपी के बसपा जिलाअध्यक्ष, मंडल कोऑर्डिनेटर, नवनिर्वाचित सांसद, पराजित प्रत्याशियों तथा अन्य पार्टी पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में मिली है। अब जाहिर सी बात है कि अगर इस तरह का फीडबैक मायावती को मिलता है तो यूपी में सपा और बसपा का गठबंधन अब टूटने की कगार पर है। सूत्रों की माने तो मायावती ने बैठक में साफ कह दिया है कि  सपा के साथ गठबंधन से पार्टी को कोई खास फायदा नहीं हुआ। यादव वोट अपेक्षा के अनुरूप हमको ट्रांसफर नहीं हुए। इस बात से तो साफ जाहिर हो रहा है कि बसपा आने वाले विधानसभा उपचुनाव को अकेले ही लड़ने का मन बना रही है। बहरहाल, अब ये बात कितनी सच है कि बसपा सपा से हाथ छुड़ाने वाली है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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संवाद365/नितिन अग्रहरि

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