रुद्रप्रयाग में शुरू हुई ‘माँ योजना’, इन महिलाओं के लिए होगी लाभकारी

March 12, 2019 | samvaad365

जनपद की अधिक खतरे वाली गर्भवती महिलाओं का शत प्रतिशत संस्थागत व सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से जिला प्रशासन व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन रूद्रप्रयाग की संयुक्त पहल पर मां योजना का शुभारंभ कर दिया गया है। हाई रिस्क प्रेगनेंसी के मामलों में सतत निगरानी व विशेष ध्यान देने पर केंद्रित इस तरह की अनूठी योजना  चलाने वाला भारत वर्ष में रूद्रप्रयाग पहला जनपद है।

सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो रूद्रप्रयाग में ‘‘माँ योजना’’ वास्तव में गर्भवती एवं धार्ती महिलाओं के लिए वरदान साबित होगी। मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए मोबाइल एप्लीकेशन माँ एप लाॅन्च किया है। इस एप्लीकेशन के जरिए हाई रिस्क गर्भवती  सभी गर्भवती महिलाओं की जानकारी रखी जायेगी और जो हाईरिश्क गर्भवती महिलाएं हैं  उनकी सही देखभाल के साथ ही उचित उपचार भी किया जायेगा। सूचना प्रौद्योगिकी के इस  दौर में भी हाईरिस्क महिला से संबंधित जानकारी समय पर जिला मुख्यालय के संबंधित  अधिकारियों तक ही नहीं पहुंच पाती हैं। ऐसे में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने रूद्रप्रया में  ‘‘माँ’’ योजना के तहत एएनएम और आशा कार्यकत्र्री को प्रत्येक गांव में तैनात किया गया है। जो हाई रिश्क गर्भवती महिलाओं की ब्लड प्रेसर, एनिमिया, सूगर लेवल आदि दिक्कतों की  सम्पूर्ण जानकारी रखने के साथ ही उसके बेहतर स्वास्थ्य के लिए काम करेंगी।

इस योजना के तहत एनएनएम कार्यकत्र्रीयों को विशेष जांच उपकरण दिए गए हैं  जिसमें बीपी उपकरण, स्टेथोस्कोप, वेट मशीन, हीमोचेक, ग्लूकोमीटर व एक मोबाइल फोन  दिया गया है। इन उपकरणों से हाई प्रेगनेंसी वालीर महिला की जांच की जाएगी और  मोबाइल एप् के जरिए नियमित रूप् से इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और  जिलाधिकारी को दी जाएगी। सही समय पर सूचना मिलने पर हाईरिस्क महिला की जान बचाइ जा सकती है।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के मामले में सतत निगरानी व विशेष ध्यानदेने पर केंद्रित करने  की अनूठी योजना शुरू करने वाला रूद्रप्रयाग पहला जनपद है। जिला प्रशासन के दिशा निर्देशन में स्वास्थ्य विभाग ने इस योजना को धरातल पर उतारा। आपको बता दे कि गर्भधारण के दौरान रक्तात्पता, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, पहला बच्चा आपरेशन द्वारा होना,  अधिक उम्र में गर्भ धारण करना, छोटे कद की गर्भवती महिला, पेट में जुड़वा बच्चा होना या  इसके अतिरिक्त गम्भीर बीमारी जैसे टीबी, एचआइवी, आदि बीमारी होना हाई रिस्क प्रेगनेंसी  के लक्ष्ण है। पहाड़ों के दूरस्थ गांवों में इस प्रकार के संवेदशील केश पहले नहीं पता चल पाते हैं जिस कारण कई बार गर्भवती महिला को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है। ऐसे में प्रशासन की यह योजना काबिले तारिफ है लेकिन अब देखना यह होगा कि इस योजना का क्रियान्वयन सही हो पाता है या नहीं।

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रुद्रप्रयाग/कुलदीप राणा

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