पद्मश्री प्रीतम भरतवाण एवं प्रो विद्या सागर को मिला नागरिक सम्मान…

May 17, 2019 | samvaad365

भारतीय कला कुंज एवं सहयोगी संस्था मित्र  एकसांझा प्रयास  के द्वारा देहरादून के प्रेस क्लब में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस सम्मान समारोह में पद्मश्री प्रीतम भरतवाण एवं प्रोफेसर विद्या सिंह चौहान  को नागरिक सम्मान से  नवाजा गया। इस समारोह का शुभारम्भ देहरादून मेयर सुनील उनियाल गामा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस दौरान इस समारोह में एसपीएस नेगी, पल्ली सिंह चौहान, रचना भरतवाण, मनी भारती स्टेफीन फियोल और कई गढ़मान्य लोग मौजूद रहे।

इस दौरान मेयर सुनील उनियाल गामा ने बताया कि आज पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, जिन्हें देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी लोग जानते हैं, उनके सम्मान समारोह में मुझे आने का मौका मिला इसके लिए मैं संस्था का धन्यवाद करता हूँ। उन्होंने बताया कि समय समय पर पद्मश्री प्रीतम भरतवाण विभिन्न संस्थाओं से सम्मानित होते रहते हैं, इस प्रकार के कार्यक्रमों से कलाकारों को प्रेरणा मिलती है, इसलिए संस्था के सभी कार्यकर्ता इसके लिए बधाई के पात्र हैं।

वहीं इस मौके पर पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने बताया कि कलाकारों को बहुत अच्छा लगता है, जब उन्हें कहीं पर सम्मान मिलता है। साथ ही उन्होंने भारतीय कला कुंज का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा आज संस्था द्वारा मुझे गढ़वाली जागर के लिए सम्मानित किया गया है, और आने वाले समय में संस्कृति के लिए और कार्य किये जाएंगे।

वहीं इस दौरान मणी भारती ने बताया कि आज संस्था द्वारा पद्मश्री प्रीतम भरतवाण एवं प्रोफेसर विद्या सिंह चौहान को सम्मानित किया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे कलाकारों को सम्मानित करना चाहिए जो उत्तराखंड का नाम विश्व स्तर पर ले जाने का काम करते हैं। ऐसे सम्मान समारोह से कलाकारों का आत्मविश्वास बढ़ता है और अच्छी प्रतिभा निकल कर सामने आती है।

इस दौरान प्रीतम भरतवाण की पत्नी रचना भरतवाण ने बताया कि मुझे बहुत खुशी होती है जब प्रीतम भरतवाण को कहीं पर सम्मानित किया जाता है, साथ ही उन्होंने संस्था का भी धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान प्रोफेसर स्टेफीन फियोल ने बताया कि गढ़वाली संस्कृति सबसे अलग संस्कृतियों में से एक है, गढ़वालियों का रहन सहन , खान पान भी अलग है, जिस पर वो लगातार शोध कर रहे हैं। वहीं इस मौके पर एसपीएस नेगी ने बताया कि इन सम्मान समारोह से कलाकारों को प्रोत्साहन मिलता है, और इस तरह के कार्यक्रम समय समय पर होने चाहिए, जिससे देश विदेश के लोग उत्तराखंड की संस्कृति को जान सकें।

संवाद365/कुलदीप 

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