प्रचंड मोदी लहर में भी जीतने वाले पटनायक की कथा भी ‘महानायकों’ वाली है

May 29, 2019 | samvaad365

देश भर में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद भी अपनी सरकार बनाने वाले और पांचवीं बार ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नेता नवीन पटनायक वास्तव में एक अनोखे नायक हैं. शालीन और मृदुभाषी नेता के रूप में जाने जाने वाले नवीन पटनायक ने भारतीय राजनीति में एक नयां इतिहास भी लिखा है. जिस लोकसभा चुनाव में मोदी लहर देश भर के बड़े नेताओं के साथ साथ क्षेत्रीय क्षत्रपों को भी साफ कर गई उसी लोकसभा चुनाव में नवीन पटनायक अपनी सरकार बचाने में तो कामयाब हुए ही हैं साथ ही बीजेपी को भी शानदार टक्कर दे गए. वो भी उस समय में जब ओडिशा फोनी चक्रवात से बुरी तरह से प्रभावित रहा. लोकसभा के साथ साथ ओडिशा में विधानसभा के भी चुनाव हुए और इन चुनावों में नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल विधानसभा की 147 सीटों में से 112 सीटें जीत गई.

बड़ी रोचक बात है कि पांचवीं बार उड़ीसा के सीएम बने नवीन पटनायक उड़िया भी ठीक से नहीं बोल पाते नवीन ने 1997 में अपने पिता और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के निधन के बाद पार्टी की कमान संभाली. नवीन पटनायक की पहचान शुरूआत में उनके बेटे के रूप में ही रही लेकिन आज वह एक स्वतंत्र, दमदार एवं लोकप्रिय नेता के तौर पर जाने जाते हैं.

कहां से हुई शुरूआत

अपने पिता की लोकसभा सीट अस्का से 1997 में चुनाव लड़कर राजनीति में कदम रखने वाले नवीन पटनायक ने धीरे धीरे राज्य के लोगों के दिलों खास जगह बनाई. 1998 में जनता दल टूट गया और पटनायक ने बीजू जनता दल बनाया. उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन किया और 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे. पटनायक 1998 और 1999 में अस्का से फिर चुने गए । भाजपा.बीजद गठजोड़ ने 2000 में राज्य विधानसभा चुनाव जीता तो नवीन पटनायक ही मुख्यमंत्री बने. 2004 में भी वह सत्ता में आये.

बीजेपी से क्यों तोड़ा था नाता

पुराने बीजेपी के साथी रहे पटनायक और उनकी पार्टी ने बीजेपी से नाता तब तोड़ा जब विहिप नेता स्वामी लक्ष्मणनंदा की हत्या के बाद कंधमाल दंगे हुए. उसके बाद ही दोनों दलों के रिश्तों में खटास आ गई. और पटनायक ने 2009 आम चुनाव और विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से नाता तोड़ दिया. इसके बाद मानों पटनायक नायक बन गए और लोकप्रियता के साथ साथ कद भी और ज्यादा बढ़ गया. तब बीजेडी ने लोकसभा में 21 में से 14 और विधानसभा में 147 में से 103 सीटें जीतीं.

तख्तापलट का सियासी तूफान

जिस तरह से उड़ीसा अपने चक्रवाती तूफानों के लिए जाना जाता है उसी तरह उड़ीसा की सियासत में भी एक बड़ा तूफान आया 2012 में बीजेडी की ही पार्टी के नेताओं ने तख्तापलट का प्रयास किया. उस वक्त पटनायक विदेश में थे.  उस तूफान में वह और निखरकर उभरे.

2014 की लहर में भी जीते पटनायक 

दौर वो था जब देश भर में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीद्वार थे और कांग्रेस अपने बुरे वक्त के करीब थी. प्रचंड मोदी लहर पार्ट 1 का सामना बीजेडी और नवीन पटनायक ने 2014 में किया लेकिन हर लहर का सामने करने वाले पटनायक ने इसका भी सामना किया और रिकॉर्ड जीत दर्ज की.  पटनायक की पार्टी ने 147 में से 117 सीटें और लोकसभा में 21 में से 20 सीटें जीतीं.

नवीन पटनायक के बारे में कहा जाता है कि वो कलाप्रेमी हैं और सरल स्वभाव के हैं. लेकिन सियासत में उनका कोई तोड़ नहीं ये तो आप भी समझ ही चुके होंगे. एक रूपये किलो चावल और पांच रूपये में खाने की उनकी योजनायें बेहद लोकप्रिय रहीं. उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण का समर्थन किया और उसे लागू भी किया.

संवाद 365/काजल

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