रुद्रप्रयाग में नमामि गंगे परियोजना के तहत रेत के टीले पर किया जा रहा है घाट निर्माणकार्य

February 12, 2019 | samvaad365

रूद्रप्रयाग में केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी नमामी गंगे परियोजना यू तो शुरूआत से ही सवालों के घेरे में थी और लगातार इस परियोजना के कार्यों को बंद करने की मांग की जा रही थी।  हमने भी लगातार नमामी गंगे के तहत किये जा रहे कार्यों पर सवाल उठाये थे और प्रमुखता के साथ रिपोर्टें दिखाई गई थी। अब मुख्य विकास अधिकारी ने भी इन कार्यों पर सवाल उठाये हैं और अपनी प्रथम जांच में उन्होंने इन कार्यों को न केवल अनियोजित बताया है बल्कि इनमें बड़ा भ्रष्टाचार भी सामने आ रहा है।

 

जरा सोचिए रेत के ढेर पर अगर महल बनायेंगे तो क्या होगा। सम्भवतः आपका जवाब होगा कि महल पल भर में बिखकर जायेगा। इसलिए तो रेत में महल बनाने जैसी बातें मूर्खता का प्रतीक मानी जाती हैं लेकिन रूद्रप्रयाग में करोड़ों रूपयों की लागत की नमामी गंगे परियोजना में कुछ ऐसे ही कारनामे किए गए हैं। हमारे काबिल नीति नीयंताओं ने रेत के ढेर पर ही बना डाली पूरी की पूरी परियोजना। ये बात पिछले एक वर्ष से स्थानीय लोगों के साथ ही न केवल हम कह रहे हैं बल्कि अब खुद रूद्रप्रयाग के मुख्य विकास अधिकारी ने भी इसका खुलासा किया। दरअसल रूद्रप्रयाग में नमामी गंगे के तहत अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के किनारे 1639.12 लाख रूपये की लागत से घाट, स्नान घर और पार्कों का निर्माण किया जाना जा रहा है। लेकिन कार्यदायी संस्था वेपकोस द्वारा इन घाटों का निर्माण बिना बुनियाद खोदे नदीयों की सतह से ही शुरू किया गया जिस कारण ये बरसात में पूरी तरह से जलमग्न हो गए थे और इन्हें भारी नुकसान हुआ। जबकि निर्माण कार्य के दौरान बिना बुनियाद खोदे ही इन्हें रेत के ढेर पर बनाया गया जिस कारण इनकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

मुख्य विकास अधिकारी एन एस रावत ने भी अपनी प्रथम जांच में बताया है कि इन घाटों का निर्माण अनियोजित ढंग से किया गया है उन्होंने घाटों के मिर्माण कार्य का निरीक्षण और निर्माण में वित्तीय अनिमितता पाई है। जिस कारण ये छः माह में ही बर्बाद हो गए हैं। इन घाटों पर लगाई गई सोलर स्ट्रीट लाईटें भी पूरी तरह से खराब हो गई हैं। जबकि दूसरी तरफ गंगा को स्वच्छ रखने की तमाम कवायादे चल रही हैं तो वहीं इस परियोजना के अन्तर्गत बिल्कुल नदियों में ही शौचालयों का निर्माण किया गया जो नदियों को स्चछच्छ रखने के दावों की कलई खोल रही है। और एनजीटी के नियमों की भी जमकर धजियां उडाई जा रही हैं। हालांकि इन शौचालयों में भी पूरी तरह से रेत भर चुका है।

उधर कोटेश्वर तीर्थ में अलकनंदा नदी पर बन रहे घाटों के तहत सिंचाई विभाग द्वारा छ साल पुराने बाढ़ सुरक्षा कार्यों के तहत बनाये गए आरसीसी के ऊपर ही टाइल बिछाकर करोड़ों रूपयों के वारे न्यारे किए गए हैं। जबकि यहां पर पहले आरसीसी का मजबूत बेस बनाया जाना था और उसके बाद ही इन घाटों का निर्माण किया जाना था। उधर नमामी गंगे के तहत वेबकोस और सिंचाई विभाग ने जो सामग्री खरीदी है उसमें भी बड़ा भ्रष्ट्राचार सामने आ रहा है। मुख्यविकास अधिकारी रूद्रप्रयाग की माने तो इन घाटों पर लगाई गई टाइल और स्ट्रीट लाईटों को सामन्य दर से कई अधिक गुना की दर पर खरीदा गया है।

अब  मुख्य विकास अधिकारी ने इन सभी कार्यों की एक जांच कमेठी बैठाई हैं जो इन कार्यों के तमाम पहलुओं पर बारीकी से जांच करेंगी जबकि बिजलेंस डिपार्टमेंट को भी एक जांच रिपोर्ट भेजी हैं ताकि इन कार्यों में किए गए भ्रष्टाचार का खुलाशा हो सके और दोषियों पर कठोर कार्यवाही की जा सके।आपको बताते चले की केंद्र सरकार की ओर से जिले में घाटों के निर्माण के लिए 1639.12 लाख रूप्ये स्वीकृत किए गए थे, जिसमें मंदाकिनी स्नान घाट के लिए 250.23 लाख, मंदाकिनी घाट के लिए 158.92 लाख,

रुद्रप्रयाग घाट के लिए 173.90 लाख, रुद्रप्रयाग घाट-2 के लिए 154.67 लाख, अलकनंदा घाट-1 के लिए 234.60 लाव व घाट 2 के लिए 189.81 लाख, कोटेश्वर घाट 186.6 लााख और घोलतीर घाट के लिए 290.6 लाख का बजट रखा गया था इन घाटों का निर्माण वेपकोस और सिंचाइ ्रविभाग की ओर से किया जा रहा है। कार्यादायी संस्थाओं की ओर से कुछ का कार्य पूरा तो कुछ का 80 प्रतिशत तक पूरा होना बतााया गया लेकिन एक भी घाट पर बजट पूरा खर्च नहीं किया गया है। ऐसे में जाहिर है कि यह परियोजना पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है। नमामी गंगे परियोजना का सच हम आपकों पहले भी कई बार दिखा चुके है। हमने शुरूआत से ही इस परियोजना पर सवाल उठाये थे। अब मुख्य विकास अधिकारी ने इसका संज्ञान लिया है। देखने वाली बात होगी की आने वाले दिनों में क्या वास्तव करोड़ों रूपयों के वारे न्यारे करने वालों के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही होती या नहीं।

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रुद्रप्रयाग/कुलदीप राणा

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