बागेश्वर जिले के हिमालय से सटे कपकोट ब्लॉक् के अंतर्गत शामा उपतहसील क्षेत्र में गरीबी के दंश व तकनीकी ज्ञान के अभाव चलते यहां कई परिवारों की महिलाएं खेतों का काम कृषि यंत्रो व बैलों के वजाय खुद करने को मजबूर हैं। ये एक जीता जागता उदाहरण है गोगिना क्षेत्र के रिठकुला, रातिरकेटी समेत अन्य गांवों के महिलाओं की, जो हर परिस्थिति में भी डटे रहती हैं। इन क्षेत्रों के वाशिंदों के पूर्वजों द्वारा पहाड़ को काटकर बनाए गए छोटे—छोटे खेतों में फसल के उत्पादन के लिए आज भी हर परिवार जुटा रहता है। गरीबी के दंश के चलते ज्यादातर परिवार खुद ही खेतों को बैलों की तरह जोतने में लगे रहते हैं ताकि उन्हें अनाज मिल सके।
21वीं सदी मे जहां हर जगह विकास की बाते हो रही हैं वही इस क्षेत्र मे विकास कितना पहुंचा है इसकी सच्चाई ये तस्वीर खुद बयां करती है। जानकारी के लिए आपको बता दे की शामा क्षेत्र सब्जी व फल उत्पादन मे जिले का सबसे अग्रणी क्षेत्र है। यहां के आलू और कीवी की मांग देश—विदेश में है। हर कोई यहां के किसानों की तारीफ करते नही थकता है। लेकिन अगर सुविधाओं और मदद की बात की जाए तो यहां कुछ विशेष दिखता नही है। यहां महिलाओ को कितना कठोर परिश्रम करना पड़ता है ये तस्वीरें खुद बया कर रही हैं। गोगिना की ग्राम प्रधान शीतल रौतेला का कहना है कि, गरीबी और साधनों की कमी की वजह से लोगों को मजबूरी मे ये सब करने को मजबूर होना पड़ता है। साधन होते तो कोई भी ये काम आखिर क्यों करेगा। ये दुर्भाग्य है कि दुरस्थ क्षेत्र होने और संचार की व्यवस्था नही होने से लोग सरकारी योजनाओं का भी पूरी तरह से लाभ भी नही ले पाते है।
हालांकि मुख्य विकास अधिकारी को जब ये भनक लगी तो उन्होनें बताया की कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देष दे दिए है की कपकोट ब्लॉक के जिस गांव की य़े तस्वीरें हैं वहां जाएं और इस परिवार की मदद कर कृषि यंत्र प्रदान करे । उहोंने ये भी बताया की कृषि विभाग अनुदान में क़ृषि यंत्र उपलब्ध करवाता है ऐसे ग्रामिण जिनके पास बैल जोड़ी नही है वे इस योजना का लाभ लेकर अपनी आर्थिकी सुधार सकते है। लेकिन ये उत्तराखंड का कोई इकलौता परिवार नहीं हैं बल्कि दूरस्थ क्षेत्रों में कई ऐसें परिवार हैं जो आज भी बैल जोड़ी की उपलब्धता न होने पर, इंसानों को उनकी जगह लेकर खेतीबाड़ी करने को मजबूर हुए…. ऐसें में ज़रूरत है कृषिविभाग को नवीनतम क़ृषि तकनीक को ग्रामीण अंचलों तक पहुंचाने की।
संवाद365,हिमांशु गढ़िया