नहीं रहे सामाजिक आन्दोलनों के पुरोधा भूपाल सिंह राणा, एक युग का हुआ अवसान

March 30, 2019 | samvaad365

पहले फौज में सरहदों पर देश की हिफाजत की और फिर सूबेदार पद से रिटायर्ड होकर गांव के विकास के लिए कमर कस दी। ऐसे शख्स का इस दुनियां से चला जाना हम सब के लिए गहरा अघात है। जनपद चमोली के विकासखण्ड पोखरी के खन्नी गांव निवासी भूपाल सिंह के देहावसान से एक युग का अवसान हुआ है जिसकी भरपाई आने वाले कई वर्षों तक नहीं हो पायेगी।

भूपाल सिंह एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने समाज हित के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। 1962 में भारत-चीन का युद्ध हो या फिर पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 की जंग हो, दुश्मनों से छाती ठोक कर लोहा मनवाया। दुश्मनों के दांत शहरदों पर ऐसे खट्टे किए की वे दुम दबाकर भाग खड़े हुए। अपने देश और तिरंगे की आन-बान-शान के लिए उन्होंने पूरी ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा से अपना फर्ज निभाया। साल 1983 में सुबेदार पद से रिटायर्ड हुए तो अपने गाँव की दीन-हीन हालात उन्हें रास न आई, और गांव को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए वे सामाजिक कार्यों में जुट गए। 1995 में वे खन्नी गांव के प्रधान निर्वाचित हुए और यहीं से शुरू हुआ गांव के विकास की शुरूआत। इसके बाद पुन भूपाल सिंह 1990 में ग्राम प्रधान चुने गए फिर यह विजयी रथ 2010 तक थमा ही नहीं। इस अवधि में उन्होंने गाँव में पैदल रास्ते, प्राइमरी स्कूल, पेयजल, सीसी मार्ग आदि बुनियादी व्यवस्थाएं विकसित की। लोकतांत्रिक प्रणाली के जरिए निरंतर 25 वर्ष  प्रधान पद पर निर्वाचित होना इस बात का गवा है कि वे गांव के प्रति कितने समर्पित थे। ग्रामीणों के साथ सहज, सरल और एक अभिभावक की भूमिका उनमें हमेशा झलकती थी।  किसी के चाचा, किसी से ताऊ, और छोटे बच्चों के दादा जी बनकर उनकी छत्रछाया पूरे गाँव पर हमेशा रही। यही कारण है कि उनके जाने के बाद  पूरा गांव ऐसा महसूस कर रहा है जैसे वट वृक्ष टूट गया हो जिसकी छाँव में पूरा गांव रहता था। आज भले ही भूपाल सिंह आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन देश और समाज हित में उनके कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

87 वर्षीय भूपाल सिंह राणा के निधन से गाँव ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है। वे पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे थे, अस्वस्थ होने के बावजूद भी वे गाँव के सामाजिक सांस्कृतिक और धार्मिक अनुष्ठानों में हमेंशा अपनी उपस्थिति देते थे। शुक्रवार (29 मार्च 2019) को करीब साढ़े सात बजे सांय उन्होंने अपने निवास खन्नी में अंतिम सांस ली। ऐसे पुण्य आत्मा को भावभिनी श्रद्धांजलि।

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कुलदीप राणा/पोखरी (चमोली)

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