जानिए कौन थी उत्तराखंड के चौंदकोट की वीरांगना तीलू रौतेली, आज किया जाएगा इन वीरांगनाएं को सम्मानित

August 8, 2022 | samvaad365

8 अगस्त को तीलू रौतेली की जयंती मनाई जाती है. इस दिन उत्तराखंड में बहादुर महिला और अलग अलग क्षेत्रों में उम्दा कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है. आज सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी सभागार में तीलू रौतेली एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुरस्कार समारोह में सीएम पुष्कर सिंह धामी शामिल नहीं हो पाएंगे। वे नीति आयोग की बैठक में शामिल होने दिल्ली गए हैं। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और मंत्री रेखा आर्य विशिष्ट अतिथि होंगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजपुर विधायक खजानदास करेंगे।

बता दें कि पौड़ी-गढ़वाल में चौंदकोट की 17वीं शताब्दी की इस वीरांगना ने लगातार 7 साल तक युद्ध करके कत्यूरों को भगाया था. कत्यूर कुमाऊं के राजा थे. तीलू रौतेली की जयंती पर हर साल उत्तराखंड के लोग पेड़ लगाते हैं और कार्यक्रमों का आयोजन कर महिलाओं कोसम्मानित करते हैं.

बता दें कि तीलू रौतेली गढ़वाल के लोगों के बीच गढ़वाल की लक्ष्मीबाई भी कही जाती हैं.  चौंदकोट गढ़वाल के गोर्ला रौत थोकदार और गढ़वाल रियासत के राजा फतेहशाह के सेनापति भूप्पू रावत की बेटी थी तीलू. तीलू के दो बड़े भाई थे पत्वा और भक्तू. तीलू की सगाई 15 साल की उम्र से पहले ही ईड़ गांव के सिपाही नेगी भवानी सिंह के साथ कर दी गई थी. बेला और देवकी की शादी तीलू के गांव गुराड में हुई थी. जो तीलू की हमउम्र थी. चौंदकोट में पति की बड़ी बहिन को ‘रौतेली’ संबोधित किया जाता है. बेला और देवकी भी तीलू को ‘तीलू रौतेली’ कहकर बुलाती थी. वीर भाईओं की छोटी बहिन तीलू बचपन से तलवार-ढाल के साथ खेलकर बड़ी हो रही थी. बचपन में ही तीलू ने अपने लिए सबसे सुंदर घोड़ी ‘बिंदुली’ का चयन कर लिया था. 15 साल की होते-होते गुरु शिबू पोखरियाल ने तीलू को घुड़सवारी और तलवारबाजी के सारे गुर सिखा दिए थे.

जब भी गढ़वाल में फसल काटी जाती थी वैसे ही कुमाऊं से कत्यूर सैनिक लूटपाट करने आ जाते थे. फसल के साथ-साथ ये अन्य सामान और बकरियां तक उठाकर ले जाते थे. ऐसे ही एक आक्रमण में तीलू के पिता, दोनों भाई और मंगेतर शहीद हो गए थे. इस भारी क्षति से तीलू की मां मैणा देवी को बहुत दुख हुआ और उन्होंने  तीलू को आदेश दिया कि वह नई सेना गठित करके कत्यूरों पर चढ़ाई करे. इसके बाद तीलू ने फौज गठित की, तब उनकी उम्र महज 15 साल की थी. लगातार 7 वर्षों तक बड़ी चतुराई से तीलू ने रणनीति बनाकर कत्यूरों का सर्वनाश कर दिया. बेला और देवकी ने भी तीलू के साथ लड़ाई लड़ी. कुमाऊं में जहां बेला शहीद हुई उस स्थान का नाम बेलाघाट और देवकी के शहीद स्थल को देघाट कहते हैं. अंत में जब तीलू लड़ाई जीतकर अपने गांव गुराड वापस आ रही थी तो रात को पूर्वी नयार में स्नान करते समय कत्यूर सैनिक रामू रजवाड़ ने धोखे से उनकी हत्या कर दी.

शनिवार 18 अगस्त को तीलू की जन्मस्थली तल्ला गुराड के नंदा देवी के ख्यात में ‘तीलू रौतेली’ नाटक का मंचन किया जाएगा. इस नाटक का निर्देशन सुप्रसिद्ध रंगकर्मी और लेखिका वसुंधरा नेगी कर रही हैं. इससे पूर्व इस नाटक का मंचन देहरादून के टाउन हॉल में हो चुका है. अब खेले जा रहे इस नाटक की खासियत ये है कि निर्देशक ने इसके सभी कलाकारों का चयन गांव से ही किया है.

गुराड गांव में जन्मी और व्यवसायी रंजना रावत की मांग है कि सरकार को शीघ्र गुराड गांव को हेरिटेज विलेज घोषित करना चाहिए. देखरेख के अभाव में तीलू रौतेली की हवेली क्षतिग्रष्त हो रही है. इससे पूर्व भी ग्रामीण सरकार का ध्यान इस ओर खींच चुके हैं. तीलू रौतेली की 15 किलो की ऐतिहासिक तलवार पहले ही चोरी हो चुकी है. संस्कृति और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के समक्ष ग्रामीण अपनी मांग रख चुके हैं.

सम्मान पाने वाली  वीरांगनाएं

अल्मोड़ा से सुनीता कोहली, कुसुम बिष्ट, जानकी व कमला नेगी, बागेश्वर जिले से हेमा सती, चमोली जिले से भागा देवी, शोभा व अभिलाषा देवी, चंपावत जिले से अनिता रावत, देहरादून जिले से अर्चना राणा, सरोज सुयाल व किर्तना शर्मा, हरिद्वार से सीमा रानी, कमलेश धीमान, रचना व उमेश कुमारी, नैनीताल से ज्योति रावत, अंजू सागर व गीता नयाल, पौड़ी से अनिता देवी, आशा देवी,मीना देवी, हेमलता बिष्ट व गिन्नी डंगवाल, पिथौरागढ़ से दीपा पांडेय व ज्योति टम्टा, रुद्रप्रयाग से रंजना अवस्थी, टिहरी से मंगला थपलियाल, उमा भट्ट व सविता सेमवाल, ऊधमसिंह नगर से स्नेहलता मलिक, रचना रानी व मीरा देवी, उत्तरकाशी से सुमित्रा और लक्ष्मी नौटियाल।

 

संवाद 365, दीपिका भंडारी

 

8 अगस्त को तीलू रौतेली की जयंती मनाई जाती है. इस दिन उत्तराखंड में बहादुर महिला और अलग अलग क्षेत्रों में उम्दा कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है. आज सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी सभागार में तीलू रौतेली एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुरस्कार समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इसमे सीएम  धामी शिरकत नहीं कर पाएंगे क्योंकि वो नीति आयोग की बैठक में शामिल होने दिल्ली गए हैं। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और मंत्री रेखा आर्य विशिष्ट अतिथि होंगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजपुर विधायक खजानदास करेंगे।

बता दें कि पौड़ी-गढ़वाल में चौंदकोट की 17वीं शताब्दी की इस वीरांगना ने लगातार 7 साल तक युद्ध करके कत्यूरों को भगाया था. कत्यूर कुमाऊं के राजा थे. तीलू रौतेली की जयंती पर हर साल उत्तराखंड के लोग पेड़ लगाते हैं और कार्यक्रमों का आयोजन कर महिलाओं कोसम्मानित करते हैं.

बता दें कि तीलू रौतेली गढ़वाल के लोगों के बीच गढ़वाल की लक्ष्मीबाई भी कही जाती हैं.  चौंदकोट गढ़वाल के गोर्ला रौत थोकदार और गढ़वाल रियासत के राजा फतेहशाह के सेनापति भूप्पू रावत की बेटी थी तीलू. तीलू के दो बड़े भाई थे पत्वा और भक्तू. तीलू की सगाई 15 साल की उम्र से पहले ही ईड़ गांव के सिपाही नेगी भवानी सिंह के साथ कर दी गई थी. बेला और देवकी की शादी तीलू के गांव गुराड में हुई थी. जो तीलू की हमउम्र थी. चौंदकोट में पति की बड़ी बहिन को ‘रौतेली’ संबोधित किया जाता है. बेला और देवकी भी तीलू को ‘तीलू रौतेली’ कहकर बुलाती थी. वीर भाईओं की छोटी बहिन तीलू बचपन से तलवार-ढाल के साथ खेलकर बड़ी हो रही थी. बचपन में ही तीलू ने अपने लिए सबसे सुंदर घोड़ी ‘बिंदुली’ का चयन कर लिया था. 15 साल की होते-होते गुरु शिबू पोखरियाल ने तीलू को घुड़सवारी और तलवारबाजी के सारे गुर सिखा दिए थे.

जब भी गढ़वाल में फसल काटी जाती थी वैसे ही कुमाऊं से कत्यूर सैनिक लूटपाट करने आ जाते थे. फसल के साथ-साथ ये अन्य सामान और बकरियां तक उठाकर ले जाते थे. ऐसे ही एक आक्रमण में तीलू के पिता, दोनों भाई और मंगेतर शहीद हो गए थे. इस भारी क्षति से तीलू की मां मैणा देवी को बहुत दुख हुआ और उन्होंने  तीलू को आदेश दिया कि वह नई सेना गठित करके कत्यूरों पर चढ़ाई करे. इसके बाद तीलू ने फौज गठित की, तब उनकी उम्र महज 15 साल की थी. लगातार 7 वर्षों तक बड़ी चतुराई से तीलू ने रणनीति बनाकर कत्यूरों का सर्वनाश कर दिया. बेला और देवकी ने भी तीलू के साथ लड़ाई लड़ी. कुमाऊं में जहां बेला शहीद हुई उस स्थान का नाम बेलाघाट और देवकी के शहीद स्थल को देघाट कहते हैं. अंत में जब तीलू लड़ाई जीतकर अपने गांव गुराड वापस आ रही थी तो रात को पूर्वी नयार में स्नान करते समय कत्यूर सैनिक रामू रजवाड़ ने धोखे से उनकी हत्या कर दी.

शनिवार 18 अगस्त को तीलू की जन्मस्थली तल्ला गुराड के नंदा देवी के ख्यात में ‘तीलू रौतेली’ नाटक का मंचन किया जाएगा. इस नाटक का निर्देशन सुप्रसिद्ध रंगकर्मी और लेखिका वसुंधरा नेगी कर रही हैं. इससे पूर्व इस नाटक का मंचन देहरादून के टाउन हॉल में हो चुका है. अब खेले जा रहे इस नाटक की खासियत ये है कि निर्देशक ने इसके सभी कलाकारों का चयन गांव से ही किया है.

गुराड गांव में जन्मी और व्यवसायी रंजना रावत की मांग है कि सरकार को शीघ्र गुराड गांव को हेरिटेज विलेज घोषित करना चाहिए. देखरेख के अभाव में तीलू रौतेली की हवेली क्षतिग्रष्त हो रही है. इससे पूर्व भी ग्रामीण सरकार का ध्यान इस ओर खींच चुके हैं. तीलू रौतेली की 15 किलो की ऐतिहासिक तलवार पहले ही चोरी हो चुकी है. संस्कृति और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के समक्ष ग्रामीण अपनी मांग रख चुके हैं.

संवाद 365, दीपिका भंडारी

 

 

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