सावन मास की शुरूआत हो चुकी है, आज सावन का पहला सोमवार है, हरिद्वार के कनखल स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर भोलेनाथ की ससुराल है जहां सावन भर भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है. पुराणों के अनुसार इस नगरी को राजा दक्ष की नगरी कहा जाता था. इसलिए यहां जो भक्त भगवान शिव का सच्चे मन से सावन मास में जलाभिषेक करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।कैलाश के बाद अगर भोले शंकर का कोई निवास स्थान है तो वह है उनकी ससुराल कनखल। जिसका वर्णन हमारे शास्त्रों और पुराणों में भी है। ब्रह्मा जी के पुत्र और राजा दक्ष की नगरी इसी पौराणिक नगरी में स्थित है। दक्षेश्वर महादेव का मंदिर जिसे दक्ष प्रजापति के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि अगर यहां भगवान शंकर का विधि विधान के साथ रुद्राभिषेक किया जाए और उनकी पूजा की जाए तो भगवान शिव सभी की मनोकामना पूरी करते हैं।
पुराणों के अनुसार हरिद्वार के कनखल नगरी में दक्ष प्रजापति मंदिर में भगवान शिव का पहला शिवलिंग स्थापित है। इस वर्ष सावन के पहले सोमवार पर भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए भारी भीड़ नही जुट पाए इसके लिए मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रसाशन द्वारा खास इंतजाम किए गए मंदिर में भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही और गर्भ ग्रह से बाहर से ही जलाभिषेक करने दिया गया ।भगवान शिव अब एक महीने सृष्टि का संचालन दक्ष प्रजापति मंदिर से ही करेगे, आज सोमवार के दिन दक्ष प्रजापति मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की कतारें लगी रहती थी, मगर इस बार भक्त भगवान शिव का जलाभिषेक सोशल डिस्टेंसिंग के माध्यम से कर रहे हैं और इसके लिए मंदिर प्रबंधक द्वारा भी पूरी तैयारी की गई है |
संवाद 365,नरेश तोमर
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