हरिद्वार: कहते हैं कि सावन में भगवान शिव धरती पर आते हैं और पूरे सावन जो भी भक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाता है, भगवान शिव उससे प्रसन्न हो जाते हैं। माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ सावन के महीने में अपनी ससुराल कनखल हरिद्वार में विराजमान रहते हैं, क्यूंकि अपने ससुर राजा दक्ष को उन्होंने वरदान दिया था, आज सावन का दूसरा सोमवार है और दूसरे सोमवार पर ग्रह नक्षत्र कहते हैं। की जो भी सच्ची श्रद्धा से इस दिन जलाभिषेक करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। पंडित दीपक पांडे बताते हैं कि वैसे तो शिव को एक लोटा जल, एक बेल पत्र और अक्षत के चंद दाने ही भक्तों का कष्ट हरने के लिए प्रेरित कर देते हैं, परंतु यदि पूजा के बाद उन्हें तीन बार श्रद्धा पूर्वक बम बम के नाद के साथ याद किया जाता है तो शंकर जी को अपार प्रसन्नता होती है।
माना जाता है कि धर्मनगरी हरिद्वार में शिव को अपमान झेलना पड़ा था उनके ससुर राजा दक्ष ने अपनी पुत्री सती को सभी देवी देवताओ और भगवान विष्णु, ब्रह्मा के सामने जमकर फटकार लगाई थी और भोलेनाथ को दर दर का भिखारी तक कहा था. पौराणिक कथा के अनुसार माता सती को अपने पति शिव का अपमान सहन नहीं हुआ आहत होकर मां ने उसी अग्निकुंड खुद को भस्म कर लिया था. जिसके बाद भगवान शिव ने हरिद्वार को श्मशान घाट बना दिया और राजा दक्ष का सर कलम कर दिया था. जिसके बाद सभी देवताओं ने भगवान शिव से माफी मांगी और तब भगवान शिव ने कहा था कि सावन के महीने में वो यहां कण कण में विराजमान होंगे। सावन के महीने में हरिद्वार के दक्ष प्रजापति मंदिर का महत्व इसीलिए काफी ज्यादा बढ़ जाती है। क्योंकि वो यहां पर निवास करते हैं।
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संवाद365/नरेश तोमर