रूद्रप्रयाग जनपद के जखोली विकास खण्ड के दर्जनों गाँव आज भी लोक निर्माण विभाग की हिलाहवाई के चलते सड़क सुविधा से महरूम हैं। आलम यह है कि नौ किमी सड़क को पूर्ण करने में विभाग को ढ़ेड दशक से भी अधिक का समय लग गया है लेकिन सड़क पूरी नहीं हो पाई है.
विकासखण्ड जखोली के अन्तर्गत आश्रम-घरड़ा-मखेत 9 किमी मोटर मार्ग का निर्माण कार्य बीते ढ़ेड दशक में भी पूरा ना होना लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। दरअसल इस क्षेत्र के दर्जनों गाँवों को जोड़ने के लिए आश्रम घरड़ा मखेत मोटर को साल 2005-06 में जिला योजना के अन्तर्गत 400 मीटर कटिंग किया गया। इसके बाद जुलाई 2008 में 6 किमी स्वीकृति मिलने के साथ 358 लाख रूपये की धनराशि भी स्वीकृति हुई। जबकि इससे आगे 3 किमी मोटर मार्ग त्यूखर तक की स्वीकृत 2011 में प्राप्त हुई। यह मोटरमार्ग मयाली-चिरबटिया-घनस्याली मोटरमार्ग के बंद होने पर बाईपास का कार्य भी कारता है बावजूद मोटरमार्ग को दशकों बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं किया गया है.
इस मोटर मार्ग के बीच में एक पुल का निर्माण किया जाना है लेकिन पुल के डिजाईन में बदलाव और सामग्री महंगी होने के कारण इसका बजट में भारी उछाल आई है जिस कारण लम्बे समय से पुल निर्माण नहीं हो पा रहा है। बरसात के समय पर अस्थाई पुल बह जाने के बाद यह मार्ग बंद रहता है। उधर लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता इन्द्रजीत बोस का कहना है कि वन हस्तातंरण और भूमि विवाद निपटाने में काफी समय लगा है जिस कारण सड़क का निर्माण समय पर नहीं हो पाया है। हालांकि वे इस बात को स्वीकार करते हैं कि सड़क कच्ची होने के कारण खास तौर पर बरसात में यह मार्ग काफी खतरनाक हो जाता है जिस कारण लोगों को दिक्कतें आती है। उन्होंने कहा कि डामरीकरण का आगणन तैयार किया जा चुका है.
आश्रम, घरड़ा, मखेत, महरगांव, ध्यान्यू, कोटी सहित दर्जनों गाँवों को यह मोटर मार्ग जोड़ता है लेकिन मोटरमार्ग की बदहाल स्थिति यहां हादसों का सबब बनी हुई है। इस कच्चे मार्ग पर कई दुपहिया वाहन दुर्घना का शिकार हो चुके हैं। जबकि गर्भवती, बीमार लोगों जहां अस्पताल पहुंचने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है वहीं निर्माण सामग्री से लेकर रोजमर्रा की जरूरत की सामन भी लोगों को पैदल ढोना पड़ता है। ग्रामीण स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर विभागीय अधिकारियों तक मोटर मार्ग को दुरूस्त करने की गुहार लगा चुके हैं लेकिन कागजी दांव-पेंचों में उलझी यह सड़क कब बनकर तैयार होगी इसका तो अभी कुछ पता नहीं है लेकिन 2022 के चुनावों में यहां के ग्रामीण इसका जवाब देने को तैयार खड़े हैं.
(संवाद 365/कुलदीप राणा आजाद)
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