जून 2013 की आपदा में जब रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड राष्ट्रीय राजमार्ग मंदाकिनी बाढ़ से पूरी तरह नेस्तनाबूद हो गया था तब केदारनाथ क्षेत्र में फंसे हजारों तीर्थ यात्रियों का रेस्क्यू करने के लिए मयाली-गुप्तकाशी राज्यमार्ग संकट मोचक सिद्ध हुआ था।
जबकि आपदाग्रस्त केदारघाटी में राहत सामग्री भी इसी मार्ग से पहुँचाई गई थी। हालांकि तब भी इस मार्ग की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी लेकिन इसके सुधारीकरण को लेकर सरकार और जिला प्रशासन ने अनेकों दावे किए थे लेकिन आज आपदा के पांच साल बाद भी 76 किमी वाले इस मोटर मार्ग की दशा ठीक होने के बजाय और भी खतरनाक हो गई है।
मयाली-गुप्तकाशी मोटरमार्ग जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो रखा है, जबकि इस मार्ग पर एडीबी द्वारा कई बार डामरीकरण तो किया गया लेकिन मानकों की अनदेखी के चलते डामरीकरण के साथ उसके उखड़ने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है। आज इस मार्ग की हालत पैदल रास्ते से भी ज्यादा खराब हो रखी हैं। जबकि कई स्थानों पर पुस्ते ढहने और भूधंसाव के कारण ये दुर्घटनाओं को भी न्यौता दे रहा है। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा वर्ल्ड बैंक में कुछ प्रपोजल मांगे गए थे जिसमें इस मार्ग को रखा गया है। उम्मीद है जल्दी इस मोटर मार्ग की दशा सुधरेगी।
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रुद्रप्रयाग/कुलदीप राणा