गंगोलीहाट विकास खंड के कमद गांव में बंसती देवी, पूरन सिंह, केसर सिंह ने बड़ी मेहनत और अरमानों से पहाड़ी शैली में मकान बनाया था. पिछले वर्ष 31 दिसम्बर को अचानक घर में रसोई गैस का सिलेंडर फटा और 12 कमरों का मकान जलकर राख हो गया. इन तीन परिवारों का मकान ही नहीं उम्मीदों और सपनों का घर राख मे मिल गया है. आग लगने से 50 लाख से अधिक का नुकसान हो गया है.
पहाड़ी क्षेत्रों में घर बनाना पहाड़ तोडने के बराबर होता है. आग की चिंगारी ने उनके अरमानों को राख में मिला दिया। जिंदगी भर की कमाई राख में मिल गयी. अब कैसे दोबार सिर छुपाने के लिए घर बनेगा और कैस आगे को जिंदगी काटी जायेग यही परेशानी उनके सामने खड़ी हो गयी. अधिकारी और जनप्रतिनिधि घटना के बाद प्रभावित परिवार को मदद देने का भरोसा तो दिला आये. लेकिन कब तक मदद मिलेगी यह बड़ा सवाल है, अब कुछ ग्रामीणों ने इन परिवारों की आर्थिक मदद करना भी शुरू कर दिया है.
अग्नि प्रभावित परिवारों को ठंड के मौसम में गांव में दूसरे परिवारों के साथ शरण लेनी पड़ रही है। जानवर भी दूसरे की गोठों में बधे हुए है। हाड़कंपाती ठंड के मौसम में इन परिवारों पर क्या गुजर रही होगी. इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. पीड़ित परिवार की मदद के लिए लोग भी अपने-अपने स्तर पर छोटी मोटी मदद कर ही रहे हैं लेकिन इतनी मदद से कैसे काम हो पाएगा क्योंकि सरकार को भी इस परिवार की मदद जल्द से जल्द करनी चाहिए ताकि परिवार को सहारा मिल सके.
(संवाद 365/प्रदीप महरा)
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