प्वाइंट टू प्वाइंट जानें उत्तराखंड के नए DGP अशोक कुमार के बारे में

November 21, 2020 | samvaad365

देहरादून: उत्तराखंड के वर्तमान DG लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार राज्य के 11वें DGP (पुलिस महानिदेशक) होंगे. 30 नवंबर को मौजूदा DGP अनिल रतूड़ी के रिटायर होने पर उसी दिन वह DGP की जिम्मेदारी संभाल लेंगे.

IPS अशोक कुमार वर्ष 1989 बैच के अधिकारी हैं। अपने लगभग तीन दशक के सेवाकाल में अविभाजित उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड पुलिस, ITBP और BSF के महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे हैं। 2023 में अशोक कुमार रिटायर होंगे पिछले कई सालों में उन्होंने कई विषयों पर पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें से ‘मैन इन खाकी’ प्रसिद्ध रही.

चलिए जानते हैं उत्तराखंड के नए DGP अशोक कुमार के बारे में.

IPS अशोक कुमार का जन्म 20 नवंबर 1964 को हरियाणा के पानीपत जिले के कुराना गांव में हुआ था.

प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में पूरी की. इसके बाद IIT दिल्ली से बीटेक और एमटेक किया.

साल 1989 बैच के IPS अधिकारी हैं अशोक कुमार

IPS अशोक की पहली पोस्टिंग उत्तरप्रदेश  के इलाहबाद जिले में SP के तौर पर हुई.

उत्तरप्रदेश के ही अलीगढ़, शाहजहांपुर, मैनपुरी, रामपुर और मथुरा में अशोक कुमार अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

वहीं उत्तराखंड के रुद्रपुर, चमोली, हरिद्वार, नैनीताल, पुलिस मुख्यालय देहरादून, गढ़वाल और कुमाऊं रेंज के आईजी के पद पर अशोक कुमार सेवाएं दे चुके हैं.

इनके अलावा IPS कुमार सीआरपीएफ और बीएसएफ में भी प्रतिनियुक्ति पर रह चुके हैं.

साल 2001 में अशोक कुमार को कोसोवो में उत्कृष्ट कार्य के लिए यूनए मिशन पदक मिला था.

साल 2006 में अशोक कुमार दीर्घ और उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति द्वारा पुलिस पदक से सम्मानित भी हो चुके हैं.

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साल 1994 में नैनीताल के तलहटी में एक गांव के पास किया था एक चर्चित एनकाउंटर, यहां दोनों ओर से करीब ताबड़तोड़ 3 हजार गोलियां चलीं थीं.

शाहजहांपुर, रुद्रपुर, नैनीताल आदि जगहों पर रहते हुए किए कई बदमाशों के एनकाउंटर.

साल 1994 में उत्तराखंड आंदोलन के दौरान चमोली में शांति बनाए रखने में रहे थे कामियाब

साल 1995 में हरिद्वार में पोस्टिंग के दौरान सफल अर्धकुंभ कराया था सम्पन्न

चैलेंजेस टू इंटरनल सिक्यूरिटी और मैन इन खाकी जैसी पुस्तक भी लिखीं.

अशोक कुमार हमेशा से अपने सरल स्वभाव के लिए जाने जाते रहे हैं. उनका एक चर्चित वक्तव्य है की पुलिस की वर्दी में होते हुए भी इंसान बने रहना..इनता मुश्किल तो नहीं.

(संवाद 365/डेस्क)

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